अपडेटेड 13 January 2025 at 19:59 IST

'फोन और कपड़े उनके पास हैं, मैं भीगे कपड़ों में उनका इंतजार कर रही...', जब महाकुंभ में अपनों से मिले 250 बिछड़े लोग

UP सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि खोया-पाया केंद्रों में सोशल मीडिया सहित कई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, ताकि बिछड़ों को अपनों से मिलवाया जा सके।

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महाकुंभ में बिछड़े 250 से अधिक लोग अपनों से मिले | Image: ANI

प्रयागराज में सोमवार को महाकुंभ के प्रथम स्नान पर्व पर तड़के घने कोहरे के बीच भारी भीड़ में अपनों से बिछड़े 250 से अधिक लोगों को मेला प्रशासन ने भूले-भटके शिविर के माध्यम से उनके परिजनों से मिलवाया। मेले में उमड़ने वाली भारी भीड़ को संभालने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भूले-भटके शिविर सहित कई भीड़ नियंत्रण पहल की है। इसके अलावा, पुलिस सहायता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं और मेले के लिए विशेष रूप से ‘वॉच टावर’ लगाए गए हैं।

भूले-भटके शिविरों में बिछड़ी महिलाओं और बच्चों के लिए समर्पित खंड के साथ खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, जो डिजिटल टूल और सोशल मीडिया सहायता से युक्त हैं। वहीं, घाटों पर लगाए गए लाउड स्पीकर से लापता लोगों के बारे में लगातार घोषणा की जा रही है, जिससे बिछड़ों को उनके परिजनों से मिलाने में मदद मिल रही है।

महज डेढ़ घंटे में अपनों से मिलवाया

उत्तर प्रदेश नागरिक सुरक्षा के वार्डन नितेश कुमार द्विवेदी ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, “नागरिक सुरक्षा विभाग और मेला अधिकारियों की निगरानी में सैकड़ों परिवारों को मिलाया गया। स्नान शुरू होने के महज डेढ़ घंटे में नागरिक सुरक्षा विभाग के लोग करीब 200-250 लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में सफल रहे।” 

आई पुरानी फिल्मों की याद

दिल्ली से आए श्रद्धालु अजय गोयल ने अपने परिजनों से बिछड़ने का दर्द बयां करते हुए कहा, “पहले हम मजाक किया करते थे कि कैसे लोग कुंभ मेले में बिछड़ जाते हैं, जैसा कि पुरानी फिल्मों में दिखाया जाता था। मेरे परिजनों से बिछड़ने के बाद हमें अहसास हुआ कि यह मजाक नहीं है, बल्कि वास्तव में ऐसा होता है।” वहीं, परिवार के 13 सदस्यों के साथ संगम स्नान के लिए आई सुजाता झा ने अपना दुख साझा करते हुए कहा, “तीन घंटे बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मेरे परिवार के सदस्य मुझ तक नहीं पहुंच पाए हैं। मेरे नाम की घोषणा कई बार की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नहीं आया।” उन्होंने कहा, “मेरा सामान, फोन और कपड़े उनके पास हैं। मैं यहां भीगे हुए कपड़ों में उनका इंतजार कर रही हूं।” 

इसी तरह की कहानी ओमवती ने साझा की, जो शाहजहांपुर के निगोही की रहने वाली हैं। उन्होंने कहा, “मैं दो अन्य लोगों के साथ आई हूं, लेकिन वे मुझसे बिछड़ गए हैं। अब मैं अकेली हूं।” बिछड़ने-भटकने की इन भावुक कहानियों के बावजूद प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्थाएं तारीफ के काबिल हैं। अजय गोयल ने कहा, “लाउड स्पीकर के माध्यम से घोषणा और खोया-पाया केंद्र शानदार पहल हैं। अधिकारियों से तुरंत जवाब मिलता है, यह अपने आप में सराहनीय है।”

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि खोया-पाया केंद्रों में सोशल मीडिया मंचों सहित कई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है, ताकि बिछड़े हुए लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में मदद मिल सके।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 13 January 2025 at 19:59 IST