अपडेटेड 27 December 2025 at 17:13 IST
UP: रोजाना पीता है 5 लीटर दूध... किस नस्ल का है लखनऊ से चोरी हुआ सफेद घोड़ा? जिसके लिए बिलख रहीं महिलाएं; पैगम्बर से खास रिश्ता
लखनऊ के तालकटोरा इलाके में स्थित कर्बला से एक ईरानी नस्ल का कीमती घोड़ा चोरी हो गया। जुलजनाह नस्ल के इस घोड़े को दुलदुल भी कहा जाता है।
लखनऊ के तालकटोरा इलाके में स्थित कर्बला से एक ईरानी नस्ल का कीमती घोड़ा चोरी हो गया। जुलजनाह नस्ल के इस घोड़े को दुलदुल भी कहा जाता है। जुलजनाह शिया समुदाय के लिए काफी मान्यता रखता है। कहा जाता है कि इस नस्ल के घोड़े को पैगम्बर के नवासे काफी पसंद करते थे। जिसके बाद इसे शाही इमाम की सवारी के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। पूर्व मुतल्लवी सैय्यद फैजी ने मामले में FIR दर्ज कराई है। वहीं उन्होंने जुलजना ढूढ़ने वालों को 50 हजार का ईनाम भी घोषित किया है।
आपको बता दें कि लखनऊ में इस नस्ल के सिर्फ तीन ही घोड़े थे। वारदात CCTV में रिकॉर्ड हो गई है। जिसमें चोर बुधवार तड़के अस्तबल के गेट का ताला काटकर घोड़ा खोलकर ले जाते दिखाई दे रहे हैं। कर्बला राजाजीपुरम के पूर्व मुतवल्ली सैय्यद फैजी ने बताया कि उनका दुलदुल नस्ल का घोड़ा अस्तबल में बंधा था। 24 दिसंबर की सुबह करीब 8 बजे उन्हें फोन आया कि अस्तबल के गेट के ताले को कटर से काट दिया गया है। घोड़ा गायब है। आसपास के लोगों से पूछताछ की। कई जगह तलाश की। कुछ पता नहीं चला तो पुलिस को सूचना दी।
रोजाना 5 लीटर गाय का दूध पीता है जुलजनाह घोड़ा, महीने का खर्चा 30 हजार
ईरानी नस्ल का ये घोड़ा करीब 1.5 साल पहले उत्तराखंड से लाया गया था, जिसकी कीमत उस समय 4.5 लाख की थी। जिस समय वो लखनऊ आया, एसकी उम्र 8 माह थी। इसे रोज 5 लीटर गाय का दूध पिलाया जाता था। इसके अलावा चना, चोकर, भूसी, हरी घास और खली भी इसके खाने में शामिल था।
उसकी देखभाल के लिए एक आदमी रखा था। घोड़े पर हर माह करीब 30 हजार रुपए खर्च होता था। उन्होंने बताया- घोड़ा बिल्कुल सफेद और चमकदार था। इसे धार्मिक कार्यों के लिए पाला था। उसकी काफी डिमांड रहती थी। शिया समुदाय के छोटे-बड़े कार्यक्रमों में उसे विशेष रूप से शामिल किया जाता था।
मुहर्रम के जुलूस में घोड़े को चूमते थे लोग, दिखाते थे अगरबत्ती
सैय्यद फैजी ने बताया- मान्यता है कि कर्बला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन दुलदुल नस्ल के घोड़े से पहुंचे थे। लड़ाई के दौरान दुलदुल भी शहीद हुआ था। उसके शरीर पर गहरे जख्म हुए थे। इस वजह से दुलदुल नस्ल के घोड़ों का मोहर्रम के जुलूस में विशेष महत्व होता है। मेरा घोड़ा जुलूस में सबसे आगे चलता था। चहल्लुम जुलूस में भी सबसे आगे रहता था। उसे सफेद कपड़ा ओढ़ाकर लाल रंग से जख्म दिखाए जाते थे। जुलूस में शामिल लोग घोड़े को छूते और चूमते थे। उसके सामने अगरबत्ती जलाते थे। मजलिसों और अन्य धार्मिक आयोजनों में भी उसे शामिल किया जाता था।
घोड़े की सलामती के लिए दुआएं, बिना खाए पीए रो रहीं महिलाएं
दुलदुल की सलामती के लिए महिलाएं और बच्चे दुआएं मांग रही हैं। लोग दुआएं कर रहे हैं कि घोड़ा सलामत लौटे, और उसे वापस लाने वाले को इनाम की घोषणा भी की गई है, जो इस घटना के प्रति लोगों की गहरी आस्था और चिंता को दर्शाता है। घोड़े की याद में महिलाएं फूट-फूट कर रो रही हैं। उनका कहना है कि अगर चोर खुद घोड़ा लेकर आ जाता है तो उसे माफ कर दिया जाएगा।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 27 December 2025 at 17:13 IST