अपडेटेड 26 October 2025 at 20:32 IST
'पत्थर' चले, रबर बुलेट-आंसू गैस के गोले छोड़े गए और हुई 'गिरफ्तारी'...कानपुर में जहां हुआ था दंगा वहां पुलिस ने की मॉकड्रिल
कानपुर में रविवार दोपहर कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने परेड चौराहे स्थित संवेदनशील क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण के अभ्यास के रूप में मॉकड्रिल का आयोजन किया।
गौरव त्रिवेदी की रिपोर्ट
कानपुर में रविवार दोपहर कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने परेड चौराहे स्थित संवेदनशील क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण के अभ्यास के रूप में मॉकड्रिल का आयोजन किया। सद्भावना चौकी के पास आयोजित इस मॉकड्रिल में पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों की भूमिका निभा रहे प्रतिभागियों के बीच दंगा नियंत्रण की वास्तविक स्थिति का अनुकरण किया। मॉकड्रिल के दौरान सैकड़ों छात्र प्रदर्शनकारी बनकर पुलिस विरोधी नारे लगाते नजर आए।
इसके जवाब में पुलिस बल ने मौके पर पहुंचकर पूरी रणनीति के साथ भीड़ को नियंत्रित करने का अभ्यास किया। स्थिति को उग्र रूप में दिखाने के लिए छात्रों ने प्रतीकात्मक रूप से कागज से बने पत्थर पुलिस की दिशा में फेंके, जिसके बाद पुलिस ने रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले चलाने की प्रक्रिया का डेमो पेश किया। घुड़सवार दस्ता भी मौके पर सक्रिय दिखा, जिसने भीड़ को पीछे धकेलते हुए हालात पर नियंत्रण पाने का प्रदर्शन किया। इस दौरान कुछ छात्रों को प्रतीकात्मक रूप से हिरासत में लिया गया ताकि रिहर्सल का दृश्य वास्तविक परिस्थितियों जैसा प्रतीत हो।
आपात स्थिति की तैयारी दिखनी चाहिए
मॉकड्रिल की निगरानी संयुक्त पुलिस आयुक्त आशुतोष कुमार ने की। उनके साथ डीसीपी सेंट्रल श्रवण कुमार सिंह और डीसीपी कासिम आबिदी सहित कई थाना प्रभारी अपनी टीमों के साथ मौजूद रहे। अधिकारियों ने सभी इकाइयों के समन्वय और तत्परता का जायजा लिया तथा निर्देश दिए कि किसी भी आपात स्थिति में इस प्रकार की तैयारी मैदान में दिखाई देनी चाहिए।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मॉकड्रिल का उद्देश्य भीड़ नियंत्रण, आपसी समन्वय और तीव्र प्रतिक्रिया क्षमता को परखना था ताकि किसी वास्तविक परिस्थिति में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में किसी तरह की कमी न रह जाए।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 26 October 2025 at 20:32 IST