अपडेटेड 29 November 2025 at 17:00 IST

हापुड़ में 50 लाख के इंश्योरेंस फ्रॉड के लिए डमी का अंतिम संस्कार मामला, DM ने बदले शमशान घाट के नियम

हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में 50 लाख के एक्सीडेंटल इंश्योरेंस के लिए डमी का फर्जी अंतिम संस्कार करने वाले मामले में डीएम ने नया नियम लागू किया है। जानें नियमों में क्या कुछ बदलाव किया गया है।

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हापुड़ में डमी का फर्जी अंतिम संस्कार | Image: Republic

Hapur insurance fraud: हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में बीते दिनों बड़ा इंश्योरेंस फ्रॉड सामने आया था। जिसमें 2 आरोपियों ने 50 लाख रुपये के एक्सीडेंटल इंश्योरेंस क्लेम के लिए एक डमी का श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करने की कोशिश की थी। पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि शव असली नहीं था। मामला सामने आने के बाद डीएम ने तुरंत इसपर संज्ञान लिया।

हापुड़ डीएम ने दिए सख्त निर्देश

मामले का संज्ञान लेते हुए हापुड़ जिलाधिकारी (District Magistrate) ने आदेश जारी कर सभी श्मशान घाटों के लिए नया प्रोटोकॉल लागू किया है। अब गढ़मुक्तेश्वर समेत जिले के सभी श्मशान घाटों में क्रिमेशन से पहले नगर पालिका के कर्मचारी शव की पहचान और वेरिफिकेशन अनिवार्य रूप से करेंगे। प्रशासन का कहना है कि इस कदम से भविष्य में इंश्योरेंस फ्रॉड और फर्जी मौत के दावों पर अंकुश लगेगा। पुलिस ने दोनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कर लिया है और अभी भी आगे की जांच जारी है।

क्या था मामला? 

दरअसल, दिल्ली के व्यापारी और उसके साथी ने 50 लाख रुपये के इंश्योरेंस क्लेम की साजिश रची थी। आरोपी पर भारी कर्ज था, इसलिए उसने अपने पुराने नौकर अंशुल कुमार (जो अभी प्रयागराज में रहते हैं) के दस्तावेजों आधार, पैन और फोटो का दुरुपयोग कर एक साल पहले 50 लाख की पॉलिसी खरीदी और खुदको नॉमिनी बनाया। इसके बाद अंशुल को मृत दिखाने के लिए प्लास्टिक का डमी पुतला तैयार कराया और गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने ले गए। 

अभी तक की जांच में सामने आया कि चार युवक कमल, आशीष और 2 बाकी आरोपी कार से पुतले को कफन में लपेटकर ब्रजघाट लाए। जल्दबाजी में चिता बनाई, लेकिन श्मशान कर्मी नितिन को वजन कम लगने पर कफन हटाया तो प्लास्टिक डमी निकला। स्थानीय लोगों ने शक होने के बाद हंगामा किया। जिसके बाद 2 आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि दो फरार हो गए। इसके बाद पुलिस ने कार बरामद की तो कार की डिग्गी से 3 और डमी पुतले मिले। वहीं, वीडियो कॉल की गई तो अंशुल जिंदा मिला, जो इस पूरी प्लानिंग से अनजान था। इंस्पेक्टर मनोज कुमार ने दोनों को हिरासत में लिया, बीमा धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज कर आरोपियों से पूछताछ में पूरे सच उगलवाया।  

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 29 November 2025 at 16:46 IST