अपडेटेड 3 October 2025 at 12:42 IST
खुदगर्ज होकर बहुत जलील हुआ...आजम खान का छलका दर्द, बोले- 'मुलायम सिंह के निधन के बाद ही छोड़ देनी चाहिए थी राजनीति'
लगभग 2 सालों तक जेल में रहने के बाद अब रिहा होकर बाहर आए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता आजम खान ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है।
Azam Khan News: लगभग 2 सालों तक जेल में रहने के बाद अब रिहा होकर बाहर आए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता आजम खान ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है। राजनीतिक भविष्य पर बात करते हुए आजम खान का दर्द छलक उठा। आजम खान ने कहा, मुझे तो मुलायम सिंह के निधन के बाद ही राजनीति को अलविदा कह देना चाहिए था। लेकिन मैं खुदगर्ज हो गया और इसी के चलते उन्हें बहुत जलील होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में रामपुर के हालात बहुत बिगड़ गए। यहां के लोगों के हक की लड़ाई लड़ने और कुछ अधूरे कामों को पूरा करने की खुदगर्जी ने उन्हें राजनीति में बनाए रखा। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “कायदे में तो मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही हमें राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन हम खुदगर्ज हो गए। लोगों का दर्द आंखों में था और कुछ काम अधूरे थे, जिन्हें पूरा करने की जिद ने हमें बहुत जलील कराया।”
‘अब तो ओखली में सिर दे ही दिया है...’
आजम खान ने कहा कि अब तो ऐसी स्थिति है कि ओखली में सिर दे दिया है। अब मूसल से क्या डरना है। आजम खान ने कहा कि मैं तो नवाबों से लड़कर यहां आया हूं। रानी विक्टोरिया के बराबर में कुर्सी नवाब की पड़ती थी, उनकी ही गद्दारी के चलते 1947 तक देश आजाद नहीं हो सका। 1857 में जब आजादी के योद्धा मेरठ से निकले तो जीतते हुए मेरठ तक आ गए थे, लेकिन रामपुर के नवाबों की सेना ने उन्हें रोक लिया।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने पार्टी छोड़कर बसपा में जाने के कयासों को भी गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि ये तो बचपने की बातें हैं। मैं तो पहले भी सपा से निकला नहीं था बल्कि मुझे निकाला गया था। मुलायम सिंह यादव ने मुझे मजबूरी में पार्टी से निकाला था और फिर मोहब्बत में वापस लिया। उनका और मेरा तो रिश्ता ही अलग था। दरअसल दो हिस्सों में जेल यात्रा के साथ ही आजम खान लगभग 5 वर्ष सलाखों के भीतर गुजार चुके हैं।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 3 October 2025 at 12:42 IST