अपडेटेड 23 May 2025 at 13:16 IST
Treasure: जंगल में टहलते हुए मिला खजाना, कीमत सुन उड़ जाएंगे होश; खोजने वाले टूरिस्टों को क्या मिलेगा इनाम?
चेक देश के क्रकोनोशे पहाड़ों के घने जंगलों में एक आश्चर्यजनक खोज सामने आई है जिसने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन को चौंका दिया, बल्कि ऐतिहासिक रिसर्चरों की दिलचस्पी भी बढ़ा दी है।
Treasure Found in Czech Forest: सोचो आप किसी जंगल में घुम रहे हो और वहां आपको घूमते हुए ऐतिहासिक खजाना मिल जाए, ऐसा ही हुआ दो पर्यटकों के साथ, चेक देश के क्रकोनोशे पहाड़ों के घने जंगलों में एक आश्चर्यजनक खोज सामने आई है जिसने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन को चौंका दिया, बल्कि ऐतिहासिक रिसर्चरों की दिलचस्पी भी बढ़ा दी है। दो पर्यटक जब जंगल में घूम रहे थे, तब उन्हें एक पत्थरीली दीवार से निकली एक पुरानी एल्यूमिनियम की डिब्बी नजर आई। डिब्बा खोलते ही उनकी आंखें चमक उठीं, क्योंकि उसमें छिपा था असली गोल्डन ट्रेजर। जी हां, इस डिब्बे में 10 सोने के कंगन, 17 सिगार केस, एक पाउडर कॉम्पैक्ट, एक पुरानी कंघी और कुल 598 सोने के सिक्के पाए गए हैं।
क्वाइन एक्सपर्ट वोज्टेक ब्राडले के अनुसार, इन सोने के सिक्कों का कुल वजन 3.7 किलोग्राम है और बाजार में इनकी कीमत लगभग 80 लाख चेक कोरुना (करीब तीन करोड़ भारतीय रुपये) आंकी गई है।
इतिहास से जुड़ा है खजाना
म्यूजियम के पुरातत्व विभाग प्रमुख मिरोस्लाव नोवाक ने बताया कि खजाना लगभग 100 साल पुराना हो सकता है। एक सिक्के पर 1921 की तारीख है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह खजाना द्वितीय विश्व युद्ध से पहले या उसके दौरान छिपाया गया होगा। यह वह समय था जब यहूदी, चेक और जर्मन नागरिक पलायन कर रहे थे।
अफवाहें और अटकलें तेज
स्थानीय लोग अलग-अलग दावे कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह खजाना कुकस एस्टेट के पुराने मालिक स्वीर्ट्स-श्पोर्क परिवार का हो सकता है, जबकि कुछ इसे युद्धकालीन लूट बता रहे हैं। खास बात यह है कि ज्यादातर सिक्के चेक रिपब्लिक के नहीं हैं, बल्कि फ्रांस और बाल्कन के हैं।
इस खजाने का अब क्या किया जाएगा?
चेक कानून के अनुसार, यह खजाना सरकार की संपत्ति मानी जाएगी। टूरिस्टों को इसका इनाम मिलेगा और यह खजाना इस साल शरद ऋतु में पूर्वी बोहेमिया म्यूजियम की एक विशेष प्रदर्शनी में आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जाएगा। दो सिगार केस अभी भी बंद हैं, जिन्हें खोला जाना बाकी है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 23 May 2025 at 09:54 IST