अपडेटेड 22 March 2024 at 10:25 IST
AAP: आम आदमी पार्टी के वो संस्थापक सदस्य, जो धीरे-धीरे कर गए अरविंद केजरीवाल से किनारा
Aam Aadmi Party: 2012 में जन्मी के AAP देश के मुख्य राजनीतिक दलों में शामिल है। दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज है।
Aam Aadmi Party: अप्रैल 2011 में एक बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसका नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे कर रहे थे। ये आंदोलन कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान सामने आए बड़े भ्रष्टाचार घोटालों के खिलाफ था। ये आंदोलन जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग करने के लिए शुरू किया गया था। एक ऐसा कानून जो दशकों से संसदीय समितियों में अटका हुआ था। उसी आंदोलन से एक राजनीतिक पार्टी का जन्म हुआ, जो आज देश के मुख्य सियासी दलों में शामिल है। ये दल आम आदमी पार्टी है और इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं।
अभी आम आदमी पार्टी की चर्चा इसलिए है कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। तथाकथित शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल गिरफ्तार हुए हैं, जो इस पार्टी के सुप्रीम लीडर हैं। मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन जैसे आम आदमी पार्टी के बड़े नेता भी लंबे वक्त से जेल के अंदर हैं। हालांकि तथाकथित शराब घोटाले और केजरीवाल समेत कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से इतर यहां आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ने वाले अहम सदस्यों और पार्टी के बढ़ते कारवां की बात करते हैं।
वो संस्थापक सदस्य, जो हो गए दूर
जिस वक्त दिल्ली में अन्ना हजारे आंदोलन कर रहे थे तो कुछ लोगों का एक समूह भी यहां बन गया था। ये लोग अलग-अलग क्षेत्र से हुए जुड़े थे, जिन्होंने बाद में मिलकर एक राजनीतिक पार्टी का आगाज कर दिया। जिसके संस्थापक सदस्यों में अरविंद केजरीवाल के साथ प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार, अजीत झा, शाजिया इल्मी और कुमार विश्वास जैसे चेहरे हुआ करते थे।
2015 के बाद आम आदमी पार्टी में उभरे आंतरिक मतभेदों के क्रम में आम आदमी पार्टी से कई प्रमुख चेहरे धीरे-धीरे करके दूर होते चले गए। इन चेहरों में प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, अजीत झा, आनंद कुमार, शाजिया इल्मी, और कुमार विश्वास जैसे नेता शामिल हैं। संस्थापकों सदस्यों में अरविंद केजरीवाल ही बचे, जो अभी पार्टी का नेतृत्व करते हैं।
बढ़ता रहा AAP का कारवां
हालांकि इसके बावजूद आम आदमी पार्टी का कारवां लगातार बढ़ता रहा और नए नेता जुड़ते रहे। 2012 में जन्मी के AAP देश के मुख्य राजनीतिक दलों में शामिल है। राष्ट्रीय दलों में आम आदमी पार्टी की गिनती होती है। दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज है। लोकसभा में आम आदमी पार्टी का एक सदस्य है, जबकि राज्यसभा में 10 सदस्य हैं। आम आदमी पार्टी ने मुफ्त बिजली-पानी और शिक्षा-मेडिकल क्षेत्र में अपने मॉडल से अलग पहचान भी बनाई।
AAP ने पहला चुनाव दिसंबर 2013 का दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। लोकप्रिय समर्थन के दम पर AAP ने दिल्ली विधानसभा में 28 (70 में से) सीटें जीतकर शानदार शुरुआत की। कांग्रेस के समर्थन लेकर पार्टी ने 28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनाई। हालांकि ये बहुत ही कम समय (49 दिन) की सरकार थी।
फरवरी 2014 में केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2015 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो AAP ने दिल्ली विधानसभा में 70 में से 67 सीटें जीती थीं, जिसमें रिकॉर्ड वोट शेयर 54 फीसदी था। इस जीत से उसने भारत के राजनीतिक मानचित्र पर अपनी जगह पक्की कर ली थी। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीटें जीतने के बाद AAP को फिर से सत्तारूढ़ दल के रूप में चुना गया।
दिल्ली में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी ने देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी जमीन तलाशना शुरू किया। तकरीबन दर्जनभर राज्यों में AAP ने चुनावी रण में हिस्सा लिया। हालांकि दिल्ली के बाहर पहली बार सफलता उसे पंजाब में मिली। 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में 20 सीटें हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 92 सीटों पर कब्जा किया था और इसी के साथ सत्ता भी हासिल की। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री बनाया। अभी लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी तैयारी कर चुकी है।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 22 March 2024 at 10:16 IST