अपडेटेड 10 January 2024 at 21:29 IST

Asian Black Bear: अरुणाचल के पक्के बाघ अभयारण्य में एशियाई काले भालू पर सर्वेक्षण शुरू

अरुणाचल प्रदेश के पक्के केसांग जिले में पक्के बाघ अभयारण्य के अधिकारियों ने एशियाई काले भालू की प्रजाति का सर्वे शुरू किया है।

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पक्के बाघ अभयारण्य में एशियाई काले भालू पर सर्वेक्षण शुरू | Image: unsplash

Asian Black Bear: अरुणाचल प्रदेश के पक्के केसांग जिले में पक्के बाघ अभयारण्य के अधिकारियों ने एशियाई काले भालू की प्रजाति की आवास प्राथमिकताओं और आवास स्थल पर रहने की प्रवृत्ति का आकलन करने के लिए एक गैर सरकारी संगठन के सहयोग से इन काले भालुओं का एक सर्वेक्षण शुरू किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक यह पहली ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य सीआरबीसी में पुनर्वास के बाद आरक्षित वन में छोड़े गए एशियाई काले भालुओं की स्थिति का आकलन करना है।

केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा समर्थित भालू पुनर्वास एवं संरक्षण केंद्र (सीबीआरसी) की स्थापना 2002 में पशु कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष (आईएफएडब्ल्यू) और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के सहयोग से अरुणाचल प्रदेश के वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी। इसका उद्देश्य विस्थापित शावकों को वापस जंगल में पुनर्वासित करना था।

पक्के वन्यजीव और बाघ अभयारण्य के प्रभागीय वन अधिकारी सत्यप्रकाश सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ अब तक केंद्र ने 2002 में परियोजना की शुरुआत के बाद से पक्के बाघ अभयारण्य में 50 से अधिक भालुओं को बचाया और उनका पुनर्वास किया है। सीबीआरसी की सफलता को चल रहे सर्वेक्षण के माध्यम से मापा जाएगा। ’’

भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के सहयोग से किए जा रहे इस सर्वेक्षण में तीन प्रारंभिक संकेत सर्वेक्षण और कैमरा ट्रैपिंग शामिल हैं। वन अधिकारी सत्यप्रकाश सिंह ने कहा, ‘‘ इस प्रक्रिया में लगी 20 सदस्यीय टीम ने पिछले साल नवंबर और दिसंबर में आरक्षित वन में और इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में रिलोह, न्यारगोका और डेलांग पर्वतमाला और हेलीपैड ग्राउंड मार्ग पर प्रारंभिक संकेत सर्वेक्षण किया है। ’’

उन्होंने कहा कि कैमरा ट्रैपिंग के साथ अंतिम प्रक्रिया मंगलवार को शुरू हुई और यह मार्च तक जारी रहेगी। डब्ल्यूटीआई के प्रबंधक और सीबीआरसी के प्रमुख डॉ पंजित बसुमतारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ बाघ अभयारण्य की तीन रेंजों में से एक रिलोह में पहले सर्वेक्षण की योजना बनाई गई और उसे क्रियान्वित किया गया। इस प्रक्रिया में व्यावहारिक प्रशिक्षण, संकेत सर्वेक्षण और कैमरा ट्रैपिंग शामिल थे, जो रेंज में भालू का अध्ययन करने वाला अपनी तरह की पहली प्रक्रिया थी। ’’

सर्वेक्षण में समुद्र तल से 900 मीटर से लेकर 2,000 मीटर तक की ऊंचाई को कवर किया गया। सर्वेक्षण की टीम का नेतृत्व रेंज अधिकारी तालो डिबो कर रहे थे।

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 10 January 2024 at 21:29 IST