अपडेटेड 28 February 2024 at 20:58 IST
Supreme Court ने पतंजलि आयुर्वेद को लगाई फटकार, दवाइयों का विज्ञापन करने से रोका
SC ने कहा,'आपने (पतंजलि) इस आदेश (नवंबर 2023) का उल्लंघन किया है। आपमें इतनी हिम्मत और साहस है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन जारी किया...
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को रोगों के उपचार के लिए अपने उत्पादों का विज्ञापन करने से अगले आदेश तक रोकते हुए मंगलवार को कहा कि पूरे देश के साथ छल किया गया है। पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक योग गुरु रामदेव हैं। शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि अपने उत्पादों के विज्ञापन और उनकी औषधीय प्रभावकारिता के बारे में न्यायालय में दिए गए कंपनी के शपथपत्र का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके अधिकारियों को उपचार की किसी भी पद्धति के खिलाफ प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी तरह का कोई बयान देने के खिलाफ आगाह भी किया, जैसा कि उनकी ओर से पिछले साल 21 नवंबर को न्यायालय में दाखिल किये गए हलफनामे में वचन दिया गया था।
पतंजलि ने पूरे देश के साथ छल कियाः सुप्रीम कोर्ट
न्यायालय ने कहा, 'पूरे देश के साथ छल किया गया है।' पीठ ने केंद्र से पूछा कि कई बीमारियों के उपचार में पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयों के प्रभावकारी होने संबंधी कंपनी के विज्ञापनों में कथित तौर पर गलत और भ्रामक दावे किये जाने को लेकर उसने उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की है। न्यायालय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि टीकाकरण और आधुनिक दवाइयों के खिलाफ रामदेव द्वारा एक दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।
पतंजलि के उत्पादों में औषधीय प्रभाव का दावा न करें
कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने पिछले साल 21 नवंबर को शीर्ष अदालत को आश्वस्त किया था कि अब से कानून का किसी तरह से भी उल्लंघन नहीं किया जाएगा, खासतौर पर विज्ञापन जारी करने या उत्पादों की ब्रांडिंग करने में। साथ ही, पतंजलि के उत्पादों के औषधीय प्रभाव का दावा करने वाला कोई बयान नहीं दिया जाएगा, ना ही इलाज की किसी भी पद्धति के खिलाफ तथ्य रहित बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी किया जाएगा।
विज्ञापनों में झूठे और गुमराह करने वाले दावों के खिलाफ आगाह किया
इसके बाद, शीर्ष अदालत ने कंपनी को कई रोगों के उपचार के लिए अपनी दवाइयों के बारे में विज्ञापनों में झूठे और गुमराह करने वाले दावे करने के खिलाफ आगाह किया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा कि अगले आदेश तक, पतंजलि आयुर्वेद को उन उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से रोका जाए जो औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 में बीमारियों, विकारों या शर्तों के रूप में निर्दिष्ट हैं।
विज्ञापन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने जताई आपत्ति
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के.एम. नटराज से पूछा कि उन्होंने क्या कार्रवाई की है। न्यायालय ने कहा, 'दो साल तक आप इसका इंतजार करते हैं जबकि कानून खुद कहता है कि यह निषिद्ध है।' उन्होंने कहा कि केंद्र को तत्काल कुछ करना होगा। एएसजी ने कहा कि अधिनियम के तहत कार्रवाई करना राज्य सरकारों का काम है। पीठ ने शीर्ष अदालत के पिछले साल नवंबर के आदेश के बाद पतंजलि द्वारा प्रकाशित एक विज्ञापन पर भी आपत्ति जताई।
शपथपत्र का किया उल्लंघन
न्यायालय ने कहा,'आपने (पतंजलि) इस आदेश (नवंबर 2023) का उल्लंघन किया है। आपमें इतनी हिम्मत और साहस है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन जारी किया... हम एक बहुत कड़ा आदेश पारित करने जा रहे हैं।' पीठ ने कहा, 'प्रथम दृष्टया, इस अदालत की यह राय है कि प्रतिवादी संख्या 5 (पतंजलि आयुर्वेद) 21 नवंबर, 2023 को पारित आदेश में दिए गए शपथपत्र का उल्लंघन कर रहा है।'
पीठ ने 19 मार्च तक मांगा पतंजलि से जवाब
न्यायालय ने कहा, 'नोटिस जारी करें कि प्रतिवादी संख्या 5, इसके प्रबंध निदेशक के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।' पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील ने नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। पीठ ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए विषय की सुनवाई 19 मार्च के लिए तय की। पतंजलि के वकील ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने लगभग 40 करोड़ रुपये की लागत से एक अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित की है। पीठ ने कहा, 'आपने अनुसंधान किया है, यह अच्छा है। एक प्रणाली है। हम सभी प्रणालियों का सम्मान करते हैं लेकिन हम दूसरों से अपेक्षा करते हैं कि वे भी दूसरों का सम्मान करें, जो एक विशेष प्रणाली का पालन कर रहे हैं।'
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 28 February 2024 at 19:59 IST