अपडेटेड 4 March 2024 at 11:45 IST

'MP-MLA मतदान के लिए रिश्वत लेकर कार्रवाई से नहीं बच सकते', 'वोट के बदले नोट' पर SC का बड़ा फैसला

'वोट के बदले नोट' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने पुराना फैसला पलट दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट | Image: ANI/File

Cash for Vote Case: सदन में 'वोट के बदले नोट' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने पुराना फैसला पलट दिया है। 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट में जनप्रतिनिधियों को मुदकमे के दायरे से अलग रखा गया था। 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि इसके लिए जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। अभी 7 जजों की पीठ ने 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट के फैसले को पलट दिया है।

पीठ ने अपने सर्वसम्मत विचार से 1998 के पीवी नरसिम्हा रोआ फैसले मामले को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम पीवी नरसिम्हा मामले के फैसले से असहमत हैं और पीवी नरसिम्हा मामले के फैसले से विधायकों को वोट देने या भाषण देने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने से छूट मिलती है, जिसके व्यापक प्रभाव होंगे और इसे खारिज कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोई सांसद या विधायक सदन में वोट या भाषण के संबंध में रिश्वतखोरी के आरोप में अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकता है। 

रिश्वतखोरी ईमानदारी को खत्म कर देती है: CJI

'वोट के बदले नोट' मामले में CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सर्व सम्मति से दिए गए अहम फैसले में कहा कि विधायिका के किसी सदस्य की तरफ से किया गया भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को खत्म कर देती है। ये भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है।

मुकदमे की कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं जनप्रतिनिधि: CJI

CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसले में कहा कि सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर मुकदमे की कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं। जब रिश्वत स्वीकार जाती है, तभी से सांसद/MLA आपराधिक दायरे में आ जाते हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर रिश्वत लेकर वो (जनप्रतिनिधि) सदन में स्पीच या वोट देते हैं तो इस नाते वो मुकदमे से नहीं बच सकते। MP/MLA रिश्वत लेकर संसदीय विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकते। उन्हें मुकदमा झेलना होगा।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 4 March 2024 at 11:07 IST