अपडेटेड 15 February 2024 at 16:15 IST

इलेक्टोरल बॉन्ड पर 'सुप्रीम' फैसला, चुनावी बॉन्‍ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन

Supreme Court Electoral Bond Decision: इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम फैसले में आरटीआई के उल्लंघन की बात है।

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supreme court | Image: ANI

Supreme Court Electoral Bond Decision:  इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम फैसला, 5 जजों की बेंच (सीजीआई समेत) की राय सामने आई है। CJI ने कहा है- इलेक्ट्रोल बॉन्ड के अलावा भी दूसरे तरीके है काले धन को रोकने के लिए। राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले फंड के बारे में मतदाताओं को जानने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि  इलेक्ट्रोल बॉन्ड की गोपनीयता जानने के अधिकार के खिलाफ है। 

चुनावी बॉन्ड पर शीर्ष अदालत के फैसले में विभिन्न सियासी दलों से पिछले 5 सालों के चंदे का हिसाब किताब भी मांग लिया है। यानि किस पार्टी ने कितना खर्च किया ये उन्हें अब बताना होगा। साथ ही ये भी मतदाताओं को फंडिंग की जानकारी मुहैया कराना राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी होगी। कोर्ट ने कहा है कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड, गोपनीयता जानने के अधिकार के खिलाफ है।

असंवैधानिक बॉन्ड

देश की सर्वोच्च अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया है। शीर्ष अदालत के इस फैसले को उद्योग जगत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके रद्द होने के साथ ही अब पब्लिक को पता होगा कि किसने, किस पार्टी को कितनी फंडिंग दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम मौजूदा स्वरूप में सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन कर रहा है। इसका मतलब है कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खत्म तो नहीं किया जाएगा, लेकिन दानदाता की पहचान गुप्त रखने के प्रावधान को हटाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है।

CJI ने कहा क्या?

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी चुनावी प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।  सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- “राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयाँ हैं। चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है, ”। आगे कहा-, "राजनीतिक दलों को वित्तीय सहायता से बदले की व्यवस्था की जा सकती है।"

सीजीआई के मुताबिक चुनावी बांड योजना काले धन पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है क्योंकि अन्य विकल्प भी हैं। “काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है।” संविधान पीठ ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 15 February 2024 at 10:59 IST