अपडेटेड 18 July 2024 at 17:24 IST

Snakebite: सांप काटने के असर को कम करने वाली दवा की खोज पूरी, अब नहीं चढ़ेगा विष

सांप का जहर कई अलग-अलग यौगिकों से बना होता है। आम तौर पर यह हृदय, तंत्रिका तंत्र या काटने के स्थान पर ऊतकों (त्वचा एवं मांशपेशियों के) को नुकसान पहुंचाता है।

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Snakebite: सांप काटने के असर को कम करने वाली दवा की खोज पूरी | Image: Unsplash

दुनिया भर में हर साल करीब 18 लाख लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं जिनमें से 1,38,000 काल के गाल में समा जाते हैं जबकि अन्य चार लाख लोग स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाते हैं। अनेक कोबरा सांप ऊतकों को नष्ट करने वाले जहर से युक्त होते हैं और उनका इलाज मौजूदा ‘एंटीवेनम’ से नहीं किया जा सकता। हमने सस्ते और खून को पतला करने की दवा की खोज की है जिसका इस्तेमाल इन विष के असर को कम करने में किया जा सकता है।

सीआरआईएसपीआर जीन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर हमने कोशिकाओं पर इस विष के प्रभाव करने के तरीके के बारे में जाना है और पाया है कि सामान्य दवा श्रेणी में आने वाली ‘हेपरिनोइड्स’ कोशिकाओं को इस जहर से बचा सकती है। हमारे अनुसंधान को आज ‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

सर्पदंश गंभीर समस्या

सांप का जहर कई अलग-अलग यौगिकों से बना होता है। आम तौर पर यह हृदय, तंत्रिका तंत्र या काटने के स्थान पर ऊतकों (त्वचा एवं मांशपेशियों के) को नुकसान पहुंचाता है। अधिकतर संपदर्श अनुसंधान में सबसे अधिक प्राणघातक जहरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसका नतीजा है कि वे जहर जो कम प्राणघातक हैं लेकिन फिर भी दीर्घकालिक समस्या उत्पन्न करते हैं जैसे कोबरा का जहर, इस बारे में कम ध्यान दिया जाता है।

जिन इलाकों में कोबरा का निवास है, वहां पर सर्पदंश के घातक असर हो सकते हैं जैसे अंग को काटने की स्थिति जिससे जीवनभर के लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है या व्यक्ति के कमाने की योग्यता समाप्त हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सर्पदंश को नजरअंदाज किए जाने वाली उष्णकटिबंधीय बीमारियों की ‘एक श्रेणी’ में रखा है और उम्मीद जताई है कि 2030 तक सर्पदंश में 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सकेगी।

मौजूदा समय में सर्पदंश का एकमात्र इलाज एंटीवेनम है। इस दवा को तैयार करने के लिए पहले जानवर के शरीर में जहर की थोड़ी मात्रा पहुंचाई जाती है और उससे तैयार एंटीबॉडी से दवा बनाई जाती है। एंटीवेनम जिंदगियां तो बचाती है लेकिन इसके कई नकारात्मक पहलू भी हैं। प्रत्येक एंटीवेनम किसी खास प्रजाति या एक से अधिक प्रजाति के सांप के काटने पर कारगर होता है। इस सर्प विष रोधी दवा और इसके भंडारण के लिए शीतगृह की आवश्यकता पड़ती है तथा इसे अस्पताल में ही दिया जाना चाहिए।

इससे भी बड़ी समस्या है कि एंटीवेनम काटने के स्थान पर ऊत्तकों को हुए नुकसान को ठीक नहीं कर सकते हैं। इसका कारण है कि एंटीवीनेम में मौजूद एंटीबॉडीज आकार में बड़ी होती हैं और बाहरी ऊतकों तक पहुंच नहीं पाती हैं।

कोबरा का जहर कैसे कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करता है हमारी टीम ने सर्पदंश के इलाज के लिए अन्य विकल्पों की तलाश शुरू की। टीम में ऑस्ट्रेलिया स्थित सिडनी विश्वविद्यालय, ब्रिटेन स्थित लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन और कोस्टा रिका स्थित इंस्टीट्यूटो क्लोडोमिरो पिकाडो के अनुसंधानकर्ता थे।

सबसे पहले, हम यह समझना चाहते थे कि ये जहर कैसे काम करते हैं। हमने कोबरा से शुरुआत की, जो अफ्रीका और दक्षिण एशिया में पाए जाते हैं। हमने अफ्रीकी ‘स्पिटिंग कोबरा’ का विष लिया, जो ऊतकों को नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है, तथा हमने तथाकथित संपूर्ण जीनोम सीआरआईएसपीआर स्क्रीनिंग का प्रयोग किया।

हमने विभिन्न मानव कोशिकाओं को लिया और प्रत्येक कोशिका में पूरे मानव जीनोम से एक अलग जीन को निष्क्रिय करने के लिए सीआरआईएसपीआर जीन-संपादन तकनीक का उपयोग किया। सीआरआईएसपीआर तकनीक कोशिका में डीएनए के विशिष्ट भागों को हटाने या बदलने के लिए एक विशेष एंजाइम का उपयोग करती है। फिर हम सभी कोशिकाओं को कोबरा के विष के संपर्क में लेकर आए और देखा कि कौन सी कोशिकाएं बच गईं तथा कौन सी नष्ट हो गईं।

जो कोशिकाएं बची रहीं, उनमें वह सबकुछ नहीं था जो विष के कारण हमें नुकसान पहुंचाता है, इसलिए हम जल्दी से पहचान सकते थे कि ये विशेषताएं क्या थीं। हमने पाया कि कोबरा की विभिन्न प्रजातियों के विष को मानव कोशिकाओं को मारने के लिए विशेष एंजाइम की आवश्यकता होती है। ये एंजाइम हेपरन और हेपरिन सल्फेट नामक लंबे शर्करा अणुओं को बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। हेपरन सल्फेट मानव और पशु कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। हेपरिन सल्फेट हमारी कोशिकाओं से तब निकलता है जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली किसी खतरे का सामना करती है।

हेपरिन का उपयोग लगभग 100 वर्षों से रक्त को पतला करने वाली दवा के रूप में किया जाता रहा है। हमने इस दवा का परीक्षण मानव कोशिकाओं पर यह देखने के लिए किया कि क्या प्रणाली में मुक्त हेपारिन की बढ़ोतरी कर विष को निष्क्रिय किया जा सकता है।

उल्लेखनीय रूप से, यह तरीका कारगर रहा और विष के कारण कोशिका की मृत्यु नहीं हुई, तब भी जब विष के बाद कोशिकाओं में हेपरिन मिलाया गया। हमने कोबरा की एशियाई प्रजाति के जहर के खिलाफ भी हेपरिन का यही प्रयोग किया और इस दौरान भी वही सुरक्षात्मक असर देखने को मिला। हमने हेपरिन के कृत्रिम संस्करण जिसे टिंजापारिन कहा जाता है का इंजेक्शन चूहे को दिया जिससे कृत्रिम ‘सर्पदंश’ कराया और पाया कि उनके ऊतक को कम क्षति पहुंची।

अगला कदम हेपरिन का परीक्षण मानव पर करना है।

सस्ता और अधिक सुगम सर्पदंश उपचार

हमारा लक्ष्य हेपेरिनोइड्स नामक हेपेरिन जैसी दवाओं से युक्त एक सर्पदंश उपचार उपकरण बनाना है, जो एपिपेन एड्रेनालाइन इंजेक्टर के समान होगा जिसे अकसर गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं के जोखिम वाले लोग अपने साथ रखते हैं। ये उपकरण उन लोगों को वितरित किए जा सकते हैं जिन्हें कोबरा के काटने का सबसे अधिक खतरा है।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 18 July 2024 at 17:24 IST