अपडेटेड 15 July 2025 at 18:33 IST
उत्तराखंड के स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान गूंजे श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोक, सरकार के फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत
उत्तराखंड के स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर श्रीमद्भगवद् गीता और रामायण को राज्य पाठ्यक्रम की रुपरेखा में शामिल कर लिया गया है। इसकी शुरूआत 15 जुलाई से हो गई है।
उत्तराखंड के स्कूलों में प्रार्थना सभा में हर दिन कम से कम एक श्लोक अर्थ सहित छात्र-छात्राओं को सुनाया जाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर श्रीमद्भगवद् गीता और रामायण को राज्य पाठ्यक्रम की रुपरेखा में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखण्ड सरकारी और गैर-शासकीय विद्यालयों में बच्चे आज से प्रार्थना सभा में श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोक पढ़ाए जाने लगे हैं। बच्चों को गीता के श्लोक सुनाए जाने के साथ ही इसका अर्थ समझाते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जानकारी भी दी जाएगी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है।
प्रार्थना सभा में हर दिन कम से कम एक श्लोक जरूरी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को दिए निर्देश में कहा, प्रार्थना सभा में हर दिन कम से कम एक श्लोक अर्थ सहित छात्र-छात्राओं को सुनाया जाए। जबकि सप्ताह में एक दिन मूल्य आधारित श्लोक को सप्ताह का श्लोक घोषित कर उसे सूचना पट्ट पर अर्थ सहित लिखा जाए। छात्र-छात्रा उसका अभ्यास करें एवं सप्ताह के अंतिम दिन इस पर चर्चा कर फीडबैक लिया जाए।
सरकार अपनी संस्कृति और सनातन को आगे बढ़ा रही- भाजपा
भाजपा प्रवकता कमलेश रमन ने कहा कि हमारी सरकार अपनी संस्कृति और सनातन को आगे बढ़ा रही है। सरकार का यह फैसला कल के भविष्य की नीव को मजबूत करेगा। बच्चे अपनी संस्कृति को जानेगे और समझेंगे।
कांग्रेस ने धामी सरकार के फैसले का किया स्वागत
वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण महरा ने धामी सरकार की फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि धामी सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला सराहनी और स्वागत योग्य है। अपनी जड़ों से जुड़ना तो आना ही चाहिए। हमारी जो संस्कृति है उसकी पहचान बच्चों में भी होनी चाहिए। वेदों की, पुराणों की, हमारे धार्मिक ग्रंथो की जानकारी उनको होनी चाहिए। पर बड़ा सवाल उठता है क्या उनको सहिष्णुता भी सिखाई जा रही है क्योंकि भारत देश में तो बहुत सारे धर्म, जाति, पंथ, समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं। यह गुलदस्ते की तरह प्रेम के साथ हम लोग रहते हैं। हमारे यहां सारे धर्म के त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। हमारा जो बचपन बीता, हमने जो स्कूली शिक्षा ग्रहण की, हमें तो सभी धर्म का आदर सम्मान करना सिखाया जाता था। अपने धर्म के साथ-साथ हम दूसरे धर्म को भी सम्मान दें, इस तरह के कोई बात सरकार की तरफ से आनी चाहिए।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 15 July 2025 at 17:37 IST