अपडेटेड 18 October 2023 at 09:56 IST
नवरात्रि के चौथे दिन होती है आदिशक्ति मां कुष्मांडा की आराधना, जानें सही विधि और मंत्र
Sharidya navratri 2023 : नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की आराधना होती है। कौन हैं मां कुष्मांडा इनकी पूजा अर्चना की क्या है विधि आइए जानते हैं?
Sharidya navratri Day 4: देवी कुष्मांडा सृष्टि की आदिशक्ति मानी जाती हैं। इनका तेज सूर्य समान माना गया है। मान्यता है कि देवी कुष्मांडा की पूजा अर्चना से मनुष्य की बुद्धि की विकास गति तीव्र होती है। निर्णय क्षमता भी काफी अच्छी मानी जाती है।
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- कैसा है उस मां का स्वरूप जिन्हें कहते हैं अष्टभुजा?
- किस रंग का वस्त्र और कौन सा मंत्र है मां को प्रिय?
- क्यों लगाया जाता है मालपुए का भोग?
आदिशक्ति का अष्टभूजा स्वरूप
कुष्मांडा देवी को ब्रह्मांड की आदिशक्ति माना जाता है। सभी स्वरूपों में मां कुष्मांडा का स्वरूप सबसे उग्र माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब संपूर्ण संसार में अंधेरा छा गया था, तब मां कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड रचा था। मां को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है और ये सिंह सवारी हैं। इनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल हैं तो आठवें में माला सुशोभित है। माना जाता है कि माता की पूजा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है। देवी कुष्मांडा की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद उनकी आरती के साथ पूजा सम्पन्न होनी चाहिए। शास्त्रों में निहित है कि मां कुष्मांडा सूर्यमंडल में निवास करती हैं।
कौन सा मंत्र, कैसा वस्त्र?
मां को पीला रंग प्रिय है इसलिए पूजा में पीले का विशेष महत्व है। मां को पीला चंदन लगाया जाता है, कुमकुम,मौली अक्षत अर्पित किया जाता है। साधक को पीले रंग का वस्त्र भी धारण करना चाहिए। पूजा में देवी को पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां और पीली मिठाई भी चढ़ाना श्रेयस्कर होता है। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की एक माला का जाप करें। माना जाता है कि इन चीजों के अर्पण से भक्त को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
मां कूष्मांडा मंत्र
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
मां को मालपुए का भोग क्यों?
मान्यतानुसार मां कुष्मांडा को कुम्हरा यानि पेठा सबसे प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना उत्तम माना जाता है। देवी की पूजा में सफेद समूचे पेठे के फल की बलि चढ़ाई जाती है। मां को मालपुए का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है इससे बुद्धि, यश और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। मालपुए का भोग लगाने के बाद स्वयं खाएं और ब्राह्मण को भी दें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kiran Rai
पब्लिश्ड 18 October 2023 at 09:55 IST
