अपडेटेड 15 August 2023 at 21:41 IST
भगत सिंह की फांसी के समय कैसा था घर का माहौल, मां को किस बात के लिए किया था मना, भतीजे ने सुनाई वीर गाथा
शहीद भगत सिंह के भतीजे और कुलतार सिंह के बेटे किरणजीत सिंह ने एक शो के दौरान अपने पिता और ताऊजी से जुड़े कई किस्से सुनाए, जिन्हें सुनकर सभी की आंखें नम हो गईं।
देश की आजादी के लिए न जाने कितने ही वीर सपूतों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। कई युवाओं ने खुशी-खुशी फांसी के फंदे को गले लगा लिया था। भगत सिंह का नाम भी महान स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में आता है। उन्होंने सेंट्रल असेंबली पर बम फेंककर सोई हुई ब्रिटिशस सरकार को जगाया था।
केवल 24 साल की उम्र में भगत सिंह हंसी-हंसी मौत के फंडे पर झूल गए थे। हाल ही में उनके भतीजे यानि कुलतार सिंह के बेटे किरणजीत सिंह ने एक रियलिटी शो इंडियाज बेस्ट डांसर शो में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि भगत सिंह की फांसी के वक्त घर का माहौल कैसा था।
खबर में आगे पढ़ें…
- शहीद भगत सिंह के भतीजे ने सुनाए किस्से
- गिरफ्तारी से लेकर कोर्ट और जेल की बताई बातें
- 23 मार्च 1931 को दी गई थी भगत सिंह को फांसी
किरणजीत ने सुनाई भगत सिंह की वीर गाथा
किरणजीत सिंह ने शो के दौरान बताया कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियों ने आजादी के संग्राम में अपना योगदान दिया। उन्होंने साइमन कमीशन के आने से लेकर लाला लाजपात राय की शहादत और सेंट्रल असेंबली पर बम फोड़ने तक का पूरा किस्सा साझा किया। किरणजीत सिंह ने यह भी बताया कि भगत सिंह ने अपनी गिरफ्तारी दे दी और अपना अपराध भी स्वीकार कर लिया।
भगत ने जब कोर्ट में भाई कुलतार से मांगी थी मिठाई
किरणजीत ने अपने पिता कुलतार सिंह और भगत सिंह की मुलाकात का एक किस्सा बताया। कुलतार सिंह एक बार भगत सिंह की पेशी पर पहुंचे तो उन्होंने अपने बड़े भाई को बताया कि वो पास हो गए हैं। भगत सिंह ने पूछा कि मिठाई कहा है और छोटे भाई को कहा कि अगली पेशी में आओ तो मिठाई लेकर आना। कुलतार सिंह अगली बार रसगुल्ले लेकर गए, क्योंकि भगत सिंह को रसगुल्ले काफी पसंद थे।
भगत सिंह ने मां को लाश लेने से किया था मना
शो के दौरान किरणजीत ने बताया कि भगत सिंह की फांसी के समय घर का माहौल कैसा था। उन्होंने कहा कि कोई हताश या निराश नहीं था, क्योंकि सभी को पता था कि क्या होने वाला है। इसके अलावा उन्होंने भगत सिंह और उनकी मां का एक किस्सा भी सुनाया। भगत सिंह ने फांसी से कुछ दिन पहले अपनी मां विद्यावती कौर को कहा था कि मेरी लाश लेने मत आना, क्योंकि लोग ऐसा न कहे कि भगत सिंह की मां रो रही हैं।
कुलतार सिंह और भगत सिंह की अंतिम मुलाकात
किरणजीत के पिता कुलतार सिंह ने अपने भाई भगत सिंह से अंतिम मुलाकात 3 मार्च 1931 को की थी। उस समय कुलतार महज 12 साल के थे। भगत सिंह ने अपने भाई को एक पत्र दिया और कहा कि कुलतार तुम्हारी आंखों में आंसू देखकर दुख हुआ, तुम हमेशा हौसले से रहना, अच्छी शिक्षा ग्रहण करना और स्वास्थ्य का ध्यान रखना।
किरणजीत की बातें सुन हर किसी की आंखें हुईं नम
किरणजीत के मुंह से उनके ताऊजी भगत सिंह की बातें सुनकर शो में मौजूद सभी लोगों की आंखें पूरी तरह नम हो गईं। 23 मार्च, 1931 के दिन भगत सिंह को फांसी दे दी गई। किरणजीत ने यह भी बताया कि इतिहास में पहली और आखिरी बार किसी को शाम के समय फांसी दी गई थी, क्योंकि ब्रिटिश सरकार पूरी तरह डरी हुई थी।
Published By : Mohit Jain
पब्लिश्ड 15 August 2023 at 21:41 IST