अपडेटेड 27 August 2023 at 11:37 IST

Sawan Pradosh: कब है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत? कैसे करें पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त

जिस तरह से सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है, ठीक उसी तरह से प्रदोष व्रत भी शिव जी को समर्पित है। आइए जानते हैं सावन का आखिरी प्रदोष कब है और कैसे करें पूजा?

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Kab Hai Sawan Ka Akhiri Pradosh Vrat | Image: self

Kab Hai Sawan Ka Akhiri Pradosh Vrat: सावन का माह बेहद ही पावन और खास माना गया है। इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रत त्योहारों का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। वहीं अगर बात शिव को समर्पित प्रदोष व्रत की हो तो सावन में इसका व्रत बहुत ही खास माना जाता है। ये हर महीने की त्रियोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। तो चलिए जानते हैं सावन का आखिरी प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और पूजा विधि क्या है?

स्टोरी में आगे ये पढ़ें....

  • कब है सावन माह का आखिरी प्रदोष व्रत?
  • क्या है सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त?
  • कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा?

कब है सावन माह का आखिरी प्रदोष व्रत?

सावन माह अब अपनी समाप्ती के करीब आ गया है। ये महीना पूर्णिमा के दिन खत्म हो जाएगा। इसके पहले ही सावन का आखिरी प्रदोष 28 अगस्त को पड़ रहा है। इस बार प्रदोष सोमवार को पड़ रहा है जिसकी वजह से इसका नाम सोम प्रदोष है। तो चलिए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या है?

क्या है सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त?

सावन माह का आखिरी प्रदोष व्रत 28 अगस्त को रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त, सोमवार की शाम 06:48 बजे से शुरू होगी जो मंगलवार 29 अगस्त को दोपहर 02:47 बजे तक रहेगी, लेकिन प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अगस्त की शाम 06:48 बजे से रात 09:02 बजे तक ही रहेगा। इस समय पूजा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।

कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा?

  • सोम प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ सुथरे या नए कपड़े पहनें।
  • इसके बाद घर के मंदिर में या फिर पास के किसी मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत करने का संकल्‍प लें।
  • शाम को सूर्यास्‍त के बाद प्रदोष काल में विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करें।
  • पूजा करते समय दूध, दही, गंगाजल, शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करें।
  • साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत और आंकड़े का फूल अर्पित करें।
  • इसके बाद मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं और भगवान शिव से प्रार्थना करें।
  • आखिरी में शिव चालीसा का पाठ और आरती करें, फिर भोग लगाएं। 
  • इस दिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार शिव तांडव स्‍त्रोत या फिर शिव अष्‍ट स्‍त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं।
  • अगर आप प्रदोष का व्रत करते हैं तो अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर करें और उसके बाद ही अन्‍न ग्रहण करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 27 August 2023 at 11:36 IST