अपडेटेड 28 January 2023 at 15:00 IST
Ratha Saptami 2023: क्या आप जानते हैं महिलाओं को सौभाग्य और सौंदर्य के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए?
Special Worship Day Of Sun God: आज है रथ सप्तमी पर्व, क्या आप जानते हैं छठ पूजा के अलावा किस दिन कि जाती है सूर्य पूजा?
Special Worship Day Of Suryadev: आमतौर पर कई लोगों को आपने बोलते हुए सुना होगा कि भगवान दिखाई नहीं देते या फिर भगवान कहां दिखते हैं? हम आपको बताने वाले हैं भगवान को आप कहां देख सकते हैं और उनका आर्शीवाद भी ले सकते हैं। वैसे तो हर रोज पूजा-अर्चना करने से आपको निश्चय ही शांति और फल मिलेगा, लेकिन उगता हुआ सूरज जैसे हर दिन आपके जीवन में कुछ नया लेकर आता है, वैसे ही पूजा-पाठ के लिए भी एक खास दिन होता है और उस दिन नियमों के साथ पूजा करने से हर किसी को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
आज यानि की 28 जनवरी का दिन बेहद खास है, क्योंकि आज रथ सप्तमी का पर्व है। हिन्दू धर्म में रथ सप्तमी पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से आपके जीवन में एक अलग बदलाव आता है जो आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करता है।
सुर्य देव को समर्पित है आज का दिन
रथ सप्तमी का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। मत्स्य पुराण के अनुसार ये पूरी तरह से भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं।
पवित्र नदियों में किया गया स्नान दिलाएगा बीमारियों से मुक्ति
रथ सप्तमी के दिन, सूर्य के उदय होने से पहले स्नान किया जाता है, खासतौर पर पवित्र नदियों में किया गया स्नान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है और इसे केवल सूर्योदय के समय ही किया जाना चाहिए। यह माना जाता है कि इस दौरान पवित्र स्नान करने से व्यक्ति को सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसे अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। सैर सप्तमी भी इस व्रत का एक और नाम है। इस व्रत को महिलाएं रखती हैं, माना जाता है कि महिलाएं ,सूर्य को प्रसन्न करने में सफल होती हैं इसी वजह से इस व्रत को हम सैर सप्तमी के नाम से भी जानते हैं।
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सूर्य सप्तमी व्रत की विधि (Surya/Rath Saptami Vrat Vidhi)
- इस दिन प्रात: काल उठ कर सूर्यदेव का पूजन करना चाहिए।
- पवित्र नदियों में नहाने के बाद सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए।
- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र या फिर गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- नदी किनारे ही सूर्य की अष्टदली प्रतिमा बनाएं और शिव तथा पार्वती की स्थापना उसके बीच में करके पूजन करें।
- पूजन के बाद ब्राह्मण को दान अवश्य दें।
- ऐसी मानयता है कि रथ सप्तमी के दिन विधी-विधान से की गई पूजा-अर्चना से सूर्य भगवान अच्छे स्वास्थ्य दीर्घायु और सफलता के वरदान देते हैं।
सूर्य सप्तमी व्रत कथा
माघ शुक्ल सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण सवाल किया, “भगवन यह बताएं कि कलयुग में कोई स्त्री किस व्रत को करने से सौभाग्यवती हो सकती है,” इस पर श्री कृष्ण ने एक कथा सुनाई। प्राचीन काल में इंदुमती नाम की एक वेश्या एक बार ऋषि वशिष्ठ के पास गई और कहा, “हे मुनिराज, मैंने आज तक कोई धार्मिक कार्य नहीं किया है। मुझे बताएं कि मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा,” वेश्या की बात सुनकर वशिष्ठ मुनि ने कहा, “स्त्रियों को मुक्ति, सौभाग्य और सौंदर्य देने वाला अचला सप्तमी से बढ़कर कोई व्रत नहीं है।
इसलिए तुम इस व्रत को करो तुम्हारा कल्याण होगा।” इंदुमती ने उनके उपदेश के आधार पर विधिपूर्वक व्रत को किया और उसके प्रभाव से शरीर छोड़ने के बाद स्वर्ग लोक में गई। वहां उसे सभी अप्सराओं की नायिका बनाया गई।
जो श्रद्धालु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना करता है। उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है।
Published By : Rashmi Agarwal
पब्लिश्ड 28 January 2023 at 14:19 IST