अपडेटेड 10 February 2025 at 20:07 IST

Ranveer Allahbadia: फूहड़ता को रोकने के लिए भारत में क्या है कानून? सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से दिखाए जा रहे अश्लील कंटेंट

Ranveer Allahabadia Controversy: सोशल मीडिया पर आज धड़ल्ले से अश्लील कंटेंट दिखाए जा रहे हैं। क्या भारत में इन अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए कोई कानून नहीं हैं?

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सोशल मीडिया पर फूहड़ता को रोकने के लिए भारत में क्या है कानून? | Image: Republic

Ranveer Allahbadia: बीते दो दिनों से सोशल मीडिया पर समय रैना नाम के एक शख्स का शो काफी चर्चा में है, जहां फूहड़पन का जमकर प्रचार-प्रसार किया जाता है, और देश का युवा वर्ग इसपर तालियां बजा रहा होता है और ठहाके लगा रहा होता है। इस शो में मशहूर पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया एक एपिसोड में आए, और फिर लोगों का ध्यान इस शो में परोसे जा रहे अश्लीलता पर गई। समय रैना के इस शो की खास बात ये है कि यहां अभद्रता की कोई सीमा नहीं रखी गई है। जिस हिसाब से शो के रील्स सोशल मीडिया पर देखने को मिलते हैं, उससे यही कहा जा सकता है कि इस शो में अभद्रता और अश्लीलता की जितनी गहराई में जाकर आप लोगों को 'हंसाने या Roast' करने की 'कला' रखते हैं, आपको उतना ही टैलेंटेड माना जाएगा। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस तरह के अभद्र और अश्लील कंटेंट को आम जन तक कैसे पहुंचाया जा रहा है? क्या भारत में ऐसे कंटेंट बनाने वालों पर रोक लगाने के लिए कोई कानून नहीं है?

आज के समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सेमी पार्न कंटेंट का अड्डा बन चुका है। बता दें, समय रैना इकलौता ऐसा शख्स नहीं है, जो अपने शो में इस तरह के फूहड़पन को बेचकर मशहूर हो रहा है, या पैसे कमा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे हजारों शो और कंटेट बिना किसी बाधा के लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत में सोशल मीडिया या इस तरह के कंटेंट को लेकर कोई कानून है या नहीं?

भारत में अश्लील कंटेंट को लेकर क्या नियम है?

  • IT ACt 2000: IT एक्ट की धारा 67 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अश्लील कंटेंट के प्रकाशन या प्रसारण पर प्रतिबंध है। इसका उल्लंघन करने पर जेल की सजा के प्रावधान के साथ-साथ जुर्माना लगाया जाएगा।
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी): आईपीसी की धारा 292, 293 और 294 अश्लील सामग्री की बिक्री, वितरण और प्रदर्शन से संबंधित हैं। हालांकि, IPC को बदलकर भारतीय न्याय संहिता कर दिया गया है।  
  •  Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986: महिलाओं का अभद्र चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 कानून विज्ञापनों, प्रकाशनों और संचार के अन्य रूपों में महिलाओं के अभद्र चित्रण पर रोक लगाता है।
  • साइबर अपराध कानून: IT एक्ट और IPC में साइबर अपराधों से निपटने के प्रावधान हैं, जिसमें ऑनलाइन उत्पीड़न, पीछा करना और सहमति के बिना स्पष्ट कंटेंट साझा करना शामिल है।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कम्यूनिटी गाइडलाइंस: अधिकांश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अपने खुद के कम्यूनिटी गाइडलाइंस हैं, जो अश्लीलता और अश्लील कंटेंट को प्रतिबंधित करता है।

आइए जानते हैं, Youtube पर इसकी क्या गाइडलाइंस है?

  • Nudity and explicit content: शैक्षिक या कलात्मक कंटेंट जैसे कुछ अपवादों के अलावा न्यूडिटी और अश्लील कंटेंट पर प्रतिबंध है।
  • Sexual content: इस तरह के सभी कंटेंट यहां बैन हैं। खासतौर पर जिसमें स्पष्ट भाषा या चित्र शामिल हैं।
  • Violent or graphic content: हिंसक या ग्राफिक सामग्री भी यूट्यूब पर बैन या फिर चेतावनियों और आयु प्रतिबंधों के साथ है।

Youtube के गाइडलाइंस के उल्लंघन का परिणाम

  1. कंटेंट हटाना: YouTube ऐसे कंटेंट हटा सकता है जो उसके दिशा-निर्देशों या भारतीय कानूनों का उल्लंघन करती है।
  2. चैनल सस्पेंट या डिलीट: बार-बार उल्लंघन करने पर चैनल सस्पेंट या डिलीट किया जा सकता है।
  3. कानूनी कार्रवाई: भारतीय कानूनों का उल्लंघन करने पर कंटेंट निर्माताओं को जुर्माना और कारावास सहित कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

एडिटोरियल चेक खत्म होने की वजह से चलाया जा रहा वल्गर कंटेंट: अश्विनी वैष्णव

सोशल मीडिया या OTT पर जाने वाले अश्लील कंटेट को रोकने के लिए भारत में अबतक कोई कानून नहीं बना है। हालांकि, इसपर रोकथाम के लिए सरकार ने बीते साल ही सदन में चर्चा की थी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने इसे लेकर कहा, "पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। जिस तरह से एडोटिरयल कंटेंट हुआ करता था... एडिटोरियल चेक होता था, अगर कुछ 'सही' या 'गलत' है... वो खत्म हो गया है। सोशल मीडिया, आज, प्रेस की आजादी का एक बड़ा जरिया है, लेकिन साथ ही, उस एडिटोरियल चेक के खत्म होने की वजह से वल्गर कंटेंट भी चलाया जाता है।"

इससे पहले बीते साल 16 मार्च 2024 को अश्लील कंटेंट को लेकर भारत सरकार ने करीब 18 OTT प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया।  क्लिनवेल्ड पीट मारविक गोएर्डेलर (KPMG) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 से लेकर 2020 के बीच OTT पर अश्लील कंटेंट में 1200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 

सरकार ने 18 फरवरी तक मांगा फीडबैक

भारत सरकार ने हाल ही में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 जारी किया। हालांकि, सरकार ने इसपर आम लोगों से 18 फरवरी 2025 तक फीडबैक भी मांगा है, ताकि अगर कुछ सुधार करना हो तो किया जा सके। अगर आप सरकार तक अपनी राय पहुंचाना चाहते हैं, तो आप MyGov.in पर जाकर ये कर सकते हैं।

इस नियम के तहत नाबालिग बच्चे या दिव्यांग व्यक्ति से जुड़े डेटा की सुरक्षा पर खास ध्यान रखा गया है। नाबालिग बच्चों का डेटा मैनेज करने से पहले बच्चों के पैरेंट्स से इसकी अनुमती लेनी होगी। अगर किसी बच्चे का डेटा मैनेज किया जाता है, तो माता-पिता के पास इसकी वजह जानने का अधिकार होगा। डेटा उल्लंघन की स्थिति में 250 करोड़ तक जुर्माना का प्रस्ताव है। इसके साथ ही नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना भी की जाएगी।

2020 में बनाया गया OTT सेल्फ रेगुलेशन कोड

साल 2020 में NETFLIX और VOOT जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म ने मिलकर OTT सेल्फ रेगुलेशन कोड बनाया, जिसके तहत 5 तरह के कंटेंट OTT पर ना दिखाने का फैसला लिया गया। इन 5 तरह के कंटेंट में देश विरोधी या राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान करने वाले कंटेंट, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और आतंकवाद, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचान वाले, कोर्ट की ओर से रोक लगाए गए कंटेंट शामिल है। हालांकि, सरकार का कहना है कि ये सभी रेगुलेशन काफी नहीं है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 10 February 2025 at 18:25 IST