अपडेटेड 21 March 2023 at 17:17 IST

Ramadan 2023: शुरू हो रहा है रमजान का पाक महीना, जानिए क्या होगी तारीख?

रमजान को इबादत का महीना भी कहा जाता है। चांद दिखने के साथ ही इस पाक महीने की शुरुआत हो जाती है और उसी दिन से लोग रोजा रखने लगते हैं। 

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Image | Image: self

Ramadan 2023: इस्लाम की बुनियाद 5 चीजों पर टिकी है। इसमें तौहीद (खुदा को एक मानना), रोजा, नमाज, जकात और हज शामिल है। रमजान के समय रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज है। रमजान का पाक महीना शुरु होने वाला है। मान्यता के अनुसार ये महीना पाक और पवित्र महीना है। मुसलिम समाज को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। रमजान को इबादत का महीना भी कहा जाता है। चांद दिखने के साथ ही इस पाक महीने की शुरुआत हो जाती है और उसी दिन से लोग रोजा रखने लगते हैं। 

रमजान कभी 29 दिन का कभी 30 दिनों का भी होता है। दरसल चांद देखने के बाद ही इस महीने की शुरुआत होती है और चांद देखकर ही ईद मनाई जाती है। कई बार लोग जिस दिन सऊदी अरब में रोजे रखते हैं या ईद की नमाज पढ़ते हैं उसके कल होकर भारत में लोग यह त्यौहार मनाते हैं। ऐसा माना गया है कि शाबान का महीना खत्म होने पर जब चांद नजर आता है तो उसी शाम से रमजान का महीना शुरू हो जाता है। 

रमजान कब से होगा शुरू 22 या 23 मार्च ?

इस साल अगर शाबान का महीना 29 दिनों का हुआ तो पहला रोजा 22 मार्च को रखा जाएगा। लेकिन अगर 22 मार्च को चांद नहीं दिखा तो पहला रोजा 23 मार्च को रखा जाएगा। चांद नजर आते ही तरावीह की नमाज शुरू हो जाती है। तरावीह वो खास नमाज जो सिर्फ रमजान में ही पढ़ी जाती है। 

क्या है सेहरी और इफ्तार

रमजान शुरू होने के पहले दिन से ही सेहरी की जाती है। सुबह में फजर की अजान होने से पहले तक सेहरी का समय होता है। इस महीने में सुबह की अजान के बाद पूरे दिन शाम तक कुछ नही खाया जाता है। मगरीब की अजान होते ही इफ्तार किया जाता है। इफ्तार करने बाद से सुबह सेहरी तक खाया जा सकता है। रोजा रखकर पूरे दिन बिना खाए पिये 5 बार नमाज अदा की जाती है। 

रमजान में इन नियमों का होता है पालन

रोजेदारों के लिए खास नियम होता है जिसको पालन करना पड़ता है। सेहरी से लेकर इफ्तारी के बीच रोजेदार कुछ भी नहीं खा सकता है। इस महीने में बुरी आदतों को भी छोड़ना पड़ता है। रोजे में बुरे विचार भी दिमाग में नहीं लाना होता है क्योंकि इसे आंख, कान और जीभ का भी रोजा कहते हैं। 

इस महीने में मुस्लिम समाज के लोग इबादत करते हैं और तरावीह की नमाज के साथ कुरआन शरीफ भी पढ़ते और सुनते हैं। जकात हर मुसलमान का फर्ज है औ जकात को इसी महीने में अदा करना होता है। जकात का मतलब है अपनी बचत का कुछ हिस्सा जरुरतमंद लोगों में बांटना। मान्यता है कि रोजा रखते हुए खुदा की इबादत करते है तो आम दिनों के मुकाबले 70 गुना ज्यादा सवाब मिलता है। 

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Published By : JaseemUl Haque

पब्लिश्ड 21 March 2023 at 17:16 IST