अपडेटेड 22 June 2024 at 23:09 IST

नहीं रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य पुजारी लक्ष्मीकांत दीक्षित, 86 साल में ली अंतिम

Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य पुजारी लक्ष्मीकांत दीक्षित का 86 साल की उम्र में निधन हो गया।

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Pandit Laxmikant Dixit: Priest Performing Ram Mandir Pran Pratistha on January 22 | Image: DD News

राम नगरी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में इनका बड़ा योगदान रहा है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला को दंडवत प्रणाम करने के बाद आचार्य के पैर छूकर प्रणाम किया था।

जानकारी के अनुसार आचार्य बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। किसी गंभीर बीमारी की चपेट में थे, जिसकी वजह से उन्होंने 22 जून, शनिवार को आखिरी सांस ली। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के नेतृत्व में 121 पुजारियों ने अनुष्ठान पूरा किया था। इनके परिजनों की ओर से न्धन की जानकारी दी गई। आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित की मौतसे हर कोई स्तब्ध है।

परिजनों ने बताया कि वह 86 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उनका दाह संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी थी।

आचार्य दीक्षित की गिनती काशी के वरिष्ठ विद्वानों में होती है। आचार्य दीक्षित के द्वारा काशी के 121 ब्राह्मणों ने अयोध्या के भव्य मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।

लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है। वे सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर दुख प्रकट करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म और साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है।’’ CM योगी ने कहा, ‘‘संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और उनके शिष्यों तथा अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’’

(इनपुट भाषा)

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 22 June 2024 at 17:41 IST