अपडेटेड 24 January 2024 at 11:58 IST
Karpoori Thakur फॉर्मूला चर्चा में तब भी था अब भी! इसमें पिछड़े ही नहीं अगड़ों का भी रखा गया ख्याल
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें सोशल जस्टिस में माहिर माना जाता था।
Karpoori Thakur Formula: कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जयंती से पहले बिहार खुश है उसके जननायक को दशकों बाद वो सम्मान मिलने वाला है जिसके वो अधिकारी थे। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजने का ऐलान किया। सोशल जस्टिस को लेकर उनका विजन चर्चा में है। पिछड़े वंचितों के लिए ही नहीं उन्होंने सर्व समाज के लिए सोचा।
कर्पूरी ठाकुर तीन बार बिहार के शीर्ष पदों पर रहे। दो बार बिहार के CM और एक बार डिप्टी CM रहे। तारीख तो तभी लिख दी थी जब बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। उन्होंने देश में पहली बार OBC आरक्षण दिया। एजुकेशन को लेकर भी शानदार काम किया। वो देश के पहले ऐसे CM थे, जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक पढ़ाई फ्री कर दी थी।
कर्पूरी ठाकुर फॉर्मूला
कर्पूरी ठाकुर को बिहार को सोशल जस्टिस का मसीहा माना जाता है। पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया,उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिलाया और तो और अगड़ों के लिए भी 3% आरक्षण का प्रावधान किया। भूमिका ऐसी निभाई कि मिसाल बन गए। जिस कर्पूरी ठाकुर फॉर्मूले की चर्चा होती है उस 26 प्रतिशत में ओबीसी वर्ग के लिए 12 फीसदी, ओबीसी कोटा में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 8 फीसदी, महिलाओं को 3 और अगड़ी जाति के गरीब जनों को 3 फीसदी का प्रावधान रखा। यानि फॉर्मूला ऐसा जिसमें सामाजिक न्याय की झलक साफ दिखती है।
| पद | कार्यकाल |
| सीएम | 22 दिसंबर 1970- 02 जून 1971 |
| सीएम | 24 जून 1977-21 अप्रैल 1979 |
| डिप्टी CM | 5 मार्च 1967- 31 जनवरी 1968 |
पांच में से एक मैट्रिक पास थे कर्पूरी ठाकुर
समस्तीपुर के पितौंझिया जिसे अब कर्पूरी ग्राम कहते हैं में कर्पूरी ठाकुर का जन्म हुआ । अभावों के बीच आगे बढ़े। पढ़ाई को भी गंभीरता से लिया। इस गांव से 1904 में सिर्फ एक व्यक्ति मैट्रिक पास था। 1940 में 5 लोग ने ये इनमें एक कर्पूरी ठाकुर थे।
मिसाल बने जो फैसले
फोर्थ ग्रेड के कर्मियों को सचिवालय के लिफ्ट में एंट्री दिलाने से लेकर अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करने तक में कर्पूरी ठाकुर का योगदान याद किया जाता है। 1977 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंगेरीलाल कमीशन को लागू किया। इसके कारण पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण मिला। और भी बेहतरीन फैसले किए जो नजीर हैं।
- देश में पहली बार OBC आरक्षण दिया था।
- मुंगेरीलाल कमीशन लागू किया। पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण मिला।
- पहले मुख्यमंत्री जिन्होंने बिहार में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त की थी।
- बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया।
- 1967 में पहली बार डिप्टी सीएम बनने पर अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की।
- आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों और महिलाओं लिए आरक्षण का दिया।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 24 January 2024 at 11:18 IST