अपडेटेड 22 May 2024 at 12:12 IST

लाखों में एक थी मेरी बेटी, डोली की जगह अर्थी नसीब...पोर्श कांड की पीड़ित अश्विनी की मां का बुरा हाल

पोर्श कार की चपेट में आने वाली युवती मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली है। मृतिका का नाम अश्विनी कोष्टा बताया गया है। वो पेशे से एक इंजीनियर थीं।

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पुणे पोर्श कांड | Image: ANI/PTI

महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार हादसे की चर्चा हर तरफ हो रही है। नाबालिग की एक गलती की वजह से दो इंजीनियर युवक-युवती की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वाले दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। पुलिस पर आरोपी को बचाने का आरोप लग रहा है। मगर सोशल मीडिया पर खबर आग की तरह फैल गई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया हैं। वहीं, पीड़ितों के परिजन दोषी को कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं।

पोर्श कार की चपेट में आने वाली युवती मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली है। मृतिका का नाम अश्विनी कोष्टा है। वो पेशे से एक इंजीनियर थीं। अश्विनी को प्यार से उनके घर वाले आशी कहकर बुलाया करते थे। जबलपुर के ग्वारीघाट मुक्तिधाम में आशी का अंतिम संस्कार किया गया। आशी जबलपुर के साकार हिल्स कॉलोनी की रहने वाली थी। आशी पुणे मेम जॉनसन कंट्रोल्स कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं।

अश्विनी की मां ने क्या कहा?

बेटी को डोली में विदा करने के सपने मां-बाप के अधुरे रह गया। जिन हाथों से बेटी विदा करना था उन हाथों से अर्थी उठाने पड़ी तो मां-बाप का कलेजा कांप उठा। अश्विनी की गमगीन मां ममता कोष्टा ने बेटी का अंतिम संस्कार करने के बाद नम आंखों से कहा, हमें उसकी शादी के बाद उसे पालकी में ( दूल्हे के घर) विदा करना था, लेकिन अब हमें उसके शव को अर्थी पर ले जाने के लिए मजबूर किया गया।

पढ़ाई में भी अव्वल रहती थी अश्विनी

अश्विनी पढ़ाई में भी अव्वल रहती थी। माता-पिता ने बताया कि वह लाखों में एक थी। उसके बहुत सारे सपने थे। वो जीवन में बहुत कुछ हासिल करना चाहती थी। मगर एक रईस बाप के बेटे की गलती की वजह से वो दुनिया छोड़ कर चली गई। अब उसके सपने सब कुछ यहीं रह गया। अश्विनी के परेंट्स घटना के आरोपी नाबालिग के माता-पिता के खिलाफ भी कड़े एक्शन की मांग कर रहे हैं।

भाई ने लगाई न्याय की गुहार

वहीं, आशी के भाई भी अपने प्यारी बहन को खोने के गम में डूबा हुआ है। भाई ने कहा, "ऐसा दुख दुश्मन को को भी देखने को ना मिले। उसकी उम्र अभी खेलने कूदने की थी। वो जनवरी में 24 साल की हुई थी और ये जाने की कोई उम्र नहीं थी। जो लापरवाही दूसरे बच्चों और उनके मां-बाप ने की है,कार देकर की है, वो नहीं करना चाहिए। बस यही बोलूंगा कि मेरी बहन को न्याय मिले। मेरी बहन एक उदाहरण बने कि ऐसा भविष्य में ना हो।

माता-पिता को ही कड़ी सजा

अश्विनी का पूरा परिवार अपनी बच्ची के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। नाबालिग लड़के और उसके माता-पिता को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने उसे ठीक से बड़ा नहीं किया। उन्हें उसे कार नहीं देनी चाहिए थी। पिता ने कहा कि हेलमेट नियम के कार्यान्वयन के लिए जांच करने के अलावा, पुलिस को तेज गति, शराब पीकर गाड़ी चलाने और बिना नंबर प्लेट के चलने वाले वाहनों पर भी अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए। इस घटना के बाद ऐसा न्याय हो कि दूसरे के लिए भी बड़ा संदेश बन जाए।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 22 May 2024 at 11:52 IST