अपडेटेड 8 December 2024 at 14:00 IST

‘प्रोबा-3’ से सूर्य के कोरोना के बारे में समझ विकसित करने में मिलेगी मदद: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक

प्रोबा-3 एक अहम अभियान है और इसे सूर्य के कोरोना( सूर्य के बाहरी वायुमंडल) का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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isro proba 3 mission | Image: X- @esa

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 उपग्रहों का इसरो के पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए सफल प्रक्षेपण एक ‘अभूतपूर्व मिशन’ है और इससे सूर्य के कोरोना तथा सौर वायु के बारे में समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।

इसरो मुख्यालय के ‘क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ कार्यालय के पूर्व निदेशक पी वी वेंकटकृष्णन के अनुसार, इस मिशन में ‘नवोन्मेषी डिजाइन और उन्नत प्रौद्योगिकियों’ का इस्तेमाल किया गया है जो भविष्य में अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान और सौर भौतिकी अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘ यह मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का समन्वित प्रयास है। प्रोबा-3 एक अहम अभियान है और इसे सूर्य के कोरोना( सूर्य के बाहरी वायुमंडल) का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।’’

वेंकटकृष्णन ने कहा कि इसका उद्देश्य सूर्य की सतह से भी अधिक गर्म कोरोना का अध्ययन करना है तथा सौर वायु के संबंध में जानकारी जुटाना है जो सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों की एक धारा है।

इसरो ने बृहस्पतिवार को पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।

Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 8 December 2024 at 14:00 IST