अपडेटेड 6 December 2024 at 23:49 IST
राष्ट्रपति मुर्मू ओडिशा में अपने जन्मस्थान पहुंचीं, महिलाओं के साथ लोक नृत्य किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज में अपने जन्मस्थान उपरबेड़ा की यात्रा के दौरान भावुक हो गईं और कहा कि उन्होंने गांव को हमेशा अपने परिवार की तरह माना।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को ओडिशा के मयूरभंज जिले में अपने जन्मस्थान उपरबेड़ा गांव की यात्रा करने के दौरान भावुक हो गईं और कहा कि उन्होंने गांव को हमेशा अपने परिवार की तरह माना है।
मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को बामनघाटी अनुमंडल के उपरबेड़ा गांव में एक संथाली परिवार में हुआ था। वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने के बाद पहली बार अपने गांव और पैतृक घर आईं। उन्होंने 25 जुलाई 2022 को भारत के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण किया था।
गांव पहुंचते ही मुर्मू उपरबेड़ा सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय पहुंचीं, जहां उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की थी। उनके स्वागत के लिए स्कूल और पूरे गांव को सजाया गया था। शिक्षकों, छात्रों और ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया।
जैसे ही मुर्मू अपने पैतृक घर के पास पहुंचीं, संथाली समुदाय की महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में अपनी सांस्कृतिक संथाली गीतों की धुन पर नृत्य कर उनका स्वागत किया।
मुर्मू, महिलाओं के साथ उनके पारंपरिक लोक नृत्य में शामिल हुईं, जबकि गांव के लोग उनका उत्साहवर्धन कर रहे थे। नृत्य करने के बाद वह ग्राम देवता के मंदिर में पूजा-अर्चना करने गईं।
छात्रों से बातचीत करते हुए मुर्मू ने कहा, ‘‘मैं 66 साल की हूं...और आज भी, मुझे अपने स्कूल और गांव में एक बच्चे की तरह महसूस हो रहा। मुझे याद है कि कैसे शिक्षक हमें मिट्टी की दीवारों वाली कक्षाओं में पढ़ाते थे।’’
मुर्मू ने यह भी कहा कि शिक्षक और गांव के लोग उन्हें परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं, किसी बाहरी व्यक्ति की तरह नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अभी भी वे दिन याद हैं जब मैं कक्षा-7 की छात्रवृत्ति परीक्षा की तैयारी कर रही थी। हमारे शिक्षक मदन मोहन सर मुझे अपने परिवार के पास ले गए और मैं परीक्षा की तैयारी के दौरान उनके बच्चों के साथ रही। इस गांव और स्कूल से मुझे जो प्यार और स्नेह मिला है, वह अद्वितीय है।’’
मुर्मू ने बसंत सर और बिश्वम्भर बाबू जैसे शिक्षकों और कुछ अन्य लोगों को भी याद किया। एक समारोह में राष्ट्रपति ने अपने शिक्षकों को सम्मानित किया जिनमें उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक बिशेश्वर मोहंता, कक्षा प्रभारी बासुदेव बेहरे और कक्षा 4 और 5 के कक्षा प्रभारी रहे बसंत कुमार गिरि शामिल हैं।
उन्होंने उपरबेड़ा उच्च प्राथमिक विद्यालय के लगभग 200 छात्रों को चॉकलेट और टिफिन बॉक्स से समेत स्कूल बैग उपहार में दिए।
अपने संबोधन में, मुर्मू ने छात्रों से कहा कि वे ईमानदारी से पढ़ाई करें और शिक्षकों, माता-पिता और गांव के बुजुर्गों की सलाह मानें।
मुर्मू के दौरे से पहले पूरे गांव को सजाया गया था। ओडिशा के वन और पर्यावरण मंत्री गणेश रामसिंह खूंटिया ने गांव में तैयारियों का निरीक्षण किया।
खूंटिया ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति सर्वोच्च पद संभालने के बाद पहली बार अपने जन्मस्थान का दौरा कर रही हैं। पूरा इलाका उन्हें देखकर रोमांचित है और गौरवान्वित महसूस कर रहा है।’’
गांव की साफ-सफाई और अपने घरों को सजाने के अलावा, ग्रामीणों ने मुर्मू के स्वागत में अपना पारंपरिक आदिवासी नृत्य भी किया। गांव की सड़कों को रंगोली से सजाया गया था।
उनके रिश्तेदारों ने ‘अरिसा’ और ‘मंडा पीठा’ समेत विभिन्न प्रकार के केक तथा चावल और साग के व्यंजन बनाए थे।
राष्ट्रपति के उपरबेड़ा और रायरंगपुर क्षेत्र के दौरे के लिए पुलिस बल की कुल 40 पलटन तैनात की गईं।
मुर्मू ने अपने आवास पर जाने से पहले रायरंगपुर स्थित पूर्णेश्वर शिव मंदिर में पूजा-अर्चना भी की।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 6 December 2024 at 23:49 IST