अपडेटेड 15 June 2023 at 10:36 IST

आषाढ़ Pradosh व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व, ये है पूजा की विधि

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का काफी महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु जी का भी आशीर्वाद मिलता है। 

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Guru Pradosh Vrat | Image: self

Guru Pradosh Vrat: हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। ये दिन भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है, जो हर महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। वहीं ये तिथि दिन पड़ती है इसे उसके नाम से भी जोड़ दिया जाता है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी आज यानी गुरुवार को पड़ रही है इसलिए इस व्रत को गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा विधि। 

प्रदोष व्रत में भगवान शिव के किस रूप की होती है पूजा?

शास्त्रों के मुताबिक आषाढ़ माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव को समर्पित इस दिन उनके नटराज अवतार की पूजा की जाती है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न होकर नृत्य करते और इस दौरान उनकी पूजा की जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून को सुबह 8 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 16 जून को सुबह 8 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। बता दें कि सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल शुरू होता है। आज पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 7 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह-सुबह उठकर नहा-धोकर साफ सुथरने कपड़े पहनने चाहिए।
  • इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
  • बाद में मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लें और फिर विधिवत उनकी पूजा अर्चना करें।
  • फिर दिन भर व्रत रखें और शाम को भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें।
  • शिव जी की पूजा के दौरान भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें।
  • पूजा के समय व्रत कथा पढ़ें और शिव चालीसा और आरती करें।
  • आखिर में भगवान को भोग लगाएं और अपनी सारी गलतियों की माफी मांगे और फिर सभी को प्रसाद बांट दें।

गुरु प्रदोष व्रत का महत्व

ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ देव गुरु बृहस्पति का भी आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत को करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं और शत्रुओं का भी नाश होता है। साथ ही इस व्रत में भगवान शिव के साथ मां पार्वती की भी पूजा की जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति के दांपत्य जीवन में आ रही सारी परेशानियां भी दूर होती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 15 June 2023 at 10:30 IST