अपडेटेड 25 July 2024 at 14:54 IST

RJD सदस्य ने राज्यसभा में उठाई मखाना किसान सहकारी संस्था स्थापित करने की मांग

ए डी सिंह ने सरकार से बिहार में मखाना किसान सहकारी संस्था स्थापित करने और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का विस्तार करने का आग्रह किया।

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मखाना किसान | Image: Shutterstock

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ए डी सिंह ने बृहस्पतिवार को सरकार से बिहार में मखाना किसान सहकारी संस्था स्थापित करने और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का विस्तार करने का आग्रह किया। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए सिंह ने इस बात को रेखांकित भी किया कि भारत के कुल मखाना उत्पादन में लगभग 90 प्रतिशत बिहार का योगदान होता है।

उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र के नौ जिलों में इसकी खेती केंद्रित है और यह फसल बड़े पैमाने पर मलार समुदाय द्वारा उगाई जाती है। अंतरराष्ट्रीय थोक मूल्य और किसानों की कमाई के बीच भारी असमानता की ओर इशारा करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘इसके महत्व के बावजूद, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मखाना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 8,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकता है जबकि सरकारी समर्थन के अभाव में किसानों को 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। मखाना उत्पादन में लगने वाली मेहनत को उजागर करते हुए, सिंह ने मलार समुदाय की आजीविका में सुधार के लिए एक सहकारी समिति के गठन की वकालत की।

उन्होंने सरकार से फसल के लिए एमएसपी व्यवस्था लागू करने का आग्रह किया। मखाना को इसके उच्च पोषण गुणों के लिए जाना जाता है। बिहार में मखाना का वार्षिक उत्पादन करीब 10,000 टन होता है जो राष्ट्रीय उत्पादन का 90 प्रतिशत है। विशेष रूप से, भारत वैश्विक मखाने की मांग का 80 प्रतिशत पूरा करता है। सिंह ने यह भी कहा कि मखाने का उत्पादन पानी से भरपूर क्षेत्रों में होता है, इसलिए यह बिहार के कुछ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त फसल है।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 25 July 2024 at 14:54 IST