अपडेटेड 26 May 2023 at 13:22 IST
नए संसद भवन के 'फ्लोर टेस्ट' में NDA पास! जानिए पूरा समीकरण कौन किसके साथ?
Parliament Inauguration: 21 दलों ने संसद के कार्यक्रम का बहिष्कार का ऐलान किया है और सत्तापक्ष के साथ 25 दल मौजूद हैं। ऐसे समझिए कि नई संसद पर सत्ता पक्ष के साथ 25, तो विपक्ष में 21 दल हैं।
New Parliament Inauguration: 28 मई 2023 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज होने वाली हैं, क्योंकि इस तारीख को देश को नई संसद मिलेगी। संसद मतलब लोकतंत्र का वह मंदिर, जहां से देश का भविष्य तय होता है। फिलहाल नई संसद का उद्घाटन समारोह राजनीतिक दलों का भविष्य निर्धारित कर रहा है। ऐसा इसलिए कि देश की नई संसद पर जबरदस्त दंगल छिड़ा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तलवारें खिची हैं। उद्घाटन से पहले ही नई संसद पर सियासत का 'फ्लोर टेस्ट' देखने को मिल रहा है।
फ्लोर टेस्ट से मतलब बहुमत परीक्षण यानी सरकारों का फैसला। सरकारों को अपना बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट से गुजरना होता है। फिलहाल हम इस फ्लोर टेस्ट की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम पर छिड़े संग्राम के बीच राजनीतिक दलों की ताकत की बात रहे हैं। कांग्रेस समेत ऐसी कई पार्टियां हैं, जो नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रही हैं। हालांकि कुछ दल ऐसे भी हैं, जो अमूमन बीजेपी के साथ खड़े नजर तो नहीं आते, मगर इस समारोह में हिस्सा लेने का फैसला कर चुके हैं। इसी को नए संसद पर 'फ्लोर टेस्ट' के रूप में देखा जा रहा है।
नई संसद पर राज्यों का फ्लोर टेस्ट
आंकड़ों पर गौर करें तो मौजूदा समय में देश के 16 राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) की सरकार है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की 7 राज्यों में सरकार है। 7 राज्य ऐसे हैं, जहां अन्य राजनीतिक दलों की सरकारें हैं। इन सभी दलों में से 21 दलों ने नई संसद के कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है और सत्तापक्ष के साथ 25 दल मौजूद हैं। इसे ऐसे समझिए कि नई संसद पर सत्ता पक्ष के साथ 25, तो विपक्ष में 21 दल हैं। अब राज्यों में शासन के आधार पर संख्या बल को समझा जाए तो नई संसद पर समर्थन देने वाले दल 18 राज्यों में शासन कर रहे हैं, जबकि विरोधी दलों की 12 राज्यों में सरकार है। मतलब 60 फीसदी राज्यों में समर्थन देने वाले दलों की सरकार है और 40 फीसदी राज्य ऐसे हैं, जहां विरोधी दल शासन कर रहे हैं।
कार्यक्रम पर संसद में पक्ष विपक्ष की ताकत
इसी आधार पर अब संसद की स्थिति को भी देख लेते हैं कि उद्घाटन समारोह के लिए पक्ष विपक्ष की ताकत कितनी है। अब तक आंकड़े बताते हैं कि समर्थन में 25 दल हैं, जिनके सदस्यों की संख्या लोकसभा के अंदर 376 यानी 68 फीसदी है, जबकि राज्यसभा में इन दलों के 131 सांसद हैं। यानी राज्यसभा के सांसदों का 55 फीसदी समर्थन है। अब विरोधी दलों की स्थिति को देखा जाए तो लोकसभा में विपक्ष के 168 यानी 31 फीसदी सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में 104 यानी 45 प्रतिशत सांसद हैं, जो समारोह से दूर हैं। मतलब आंकड़ों को मिलाकर देखा जाए तो नई संसद पर फ्लोर टेस्ट में NDA की जीत साफ नजर आती है।
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नई संसद के समर्थन में कौन-कौन?
पहले NDA दलों की बात करें तो बीजेपी के अलावा शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपुल्स पार्टी, मेघालय, नेशनल डेमोक्रेकिट प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, जन नायक पार्टी, एआईएडीएमके, आईएमकेएमके,आजसू, आरपीआई, मिजो नेशनल फ्रंट, तमिल मनीला कांग्रेस, आईटीएफटी (त्रिपुरा), बोडो पीपुल्स पार्टी, पीएमके, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, अपना दल, असम गण परिषद हैं। इसके अलावा नई संसद का समर्थन करने वाले गैर एनडीए दलों में बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल, बीएसपी, लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान), जेडीएस, टीडीपी शामिल हैं।
विरोध में कौन-कौन से दल?
विरोध करने वाले दलों की बात करें तो कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय लोकदल, राष्ट्रीय जनता दल, नेशनल कॉन्फ़्रेंस, डीएमके, एमडीएमके, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगिल कच्ची, एआईएमआईएम शामिल हैं।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 26 May 2023 at 13:22 IST