अपडेटेड 27 June 2024 at 15:40 IST

जीतन राम मांझी ने इमरजेंसी को काला दिन करार दिया, कहा- कांग्रेस ने ही संविधान की उड़ाई थीं धज्जियां

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इमरजेंसी को काला दिन करार देते हुए कांग्रेस पर हमला बोला, उन्होंने कहा कि उस समय कांग्रेस ने ही संविधान की धज्जियां उड़ाई थी।

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जीतन राम मांझी | Image: PTI

Jitan Ram Manjhi News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को (27 जून) संबोधित किया, इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपातकाल का जिक्र किया। जिसके बाद विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। वहीं, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी इमरजेंसी को काला दिन करार दिया।

जीतन राम मांझी ने इमरजेंसी को काला दिन करार देते हुए कांग्रेस पर हमला बोला, उन्होंने कहा कि उस समय कांग्रेस ने ही संविधान की धज्जियां उड़ाई थी। वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित सरकार की प्राथमिकताओं को सामने रखा।

जीतन राम मांझी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा- 'इमरजेंसी एक काला दिन था...उसको याद करना बहुत जरूरी था...उस समय कांग्रेस ने ही संविधान की धज्जियां उड़ाई थीं और आज वो हर जगह संविधान की प्रतियां लेकर घूमते हैं...देश की जनता को समझना चाहिए कि आज संविधान को खतरा नहीं है।'

संसद की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति का संबोधन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद की संयुक्त बैठक में मुर्मू का यह पहला संबोधन था। उन्होंने कहा कि मैं 18वीं लोक सभा के सभी नव निर्वाचित सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। आप सभी यहां देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं। देशसेवा और जनसेवा का ये सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपना दायित्व निभाएंगे।140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे।

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इमरजेंसी पर राष्ट्रपति करारा हमला

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने इमरजेंसी पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 साल पूरे करने जा रहा है। भारतीय संविधान ने बीते दशकों में हर चुनौती और कसौटी पर खरा उतरा है। देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर कई हमले हुए हैं। 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल संविधान पर सीधा हमला था। जब इसे लगाया गया तो पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन देश ने ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त की है। मेरी सरकार भी भारतीय संविधान को सिर्फ शासन का माध्यम नहीं बना सकती। हम अपने संविधान को जनचेतना का हिस्सा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। 

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 27 June 2024 at 15:40 IST