अपडेटेड 16 July 2023 at 13:59 IST
UP में राजभर के साथ आने से कितनी मजबूत होगी BJP, क्या कहते हैं जातीय समीकरण?
बीजेपी ने छोटे दलों को साथ लेते हुए अपनी राजनीति को धार देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में अब बीजेपी ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) को साथ ले लिया है।
विपक्ष के महाजुटान की कोशिशों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) दिनों दिन पानी फेर रही है। विपक्ष अभी शहर शहर बैठक का नाटक करने में लगा है, जबकि बीजेपी ने राज्य दर राज्य छोटे दलों को साथ लेते हुए अपनी राजनीति को धार देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में अब बीजेपी ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) को साथ ले लिया है, जो विपक्ष की उम्मीदों को तोड़ने जैसा है।
खबर में आगे पढ़ें:-
- ओपी राजभर 2024 से पहले बीजेपी के साथ आए
- पूर्वांचल में राजभर समाज का अच्छा खासा वोटबैंक
- बीजेपी अब राजभर के साथ आने से मजबूत होगी
राजभर के आने से बीजेपी को कितना फायदा?
भारतीय राजनीति में कहा जाता है कि जिसने उत्तर प्रदेश जीत लिया, उसके लिए दिल्ली की गद्दी पर बैठना लगभग तय हो जाता है। अखिलेश यादव को छोड़ दिया जाए तो शायद ही विपक्ष का कोई और दल उत्तर प्रदेश में ठीक ढंग से सक्रिय है, लेकिन बीजेपी यूपी में जबरदस्त तरीके से अपनी रणनीति में जुटी है। ओम प्रकाश राजभर को साथ में लाना इसी रणनीति का हिस्सा है। अब समझने वाली बात ये है कि राजभर के आने से उत्तर प्रदेश में बीजेपी को आखिर कितना फायदा होने वाला है।
सुभासपा के बीजेपी के साथ आने से एनडीए को मजबूती मिलेगी, ये तो तय है। इसको ऐसे भी समझिए कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की पूर्वांचल की राजनीति में ठीक-ठाक पकड़ है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में सुभासपा के विधायकों की मौजूदा समय में संख्या 6 है। 2022 के विधानसभा चुनावों में सुभासपा को कुल 12,52,925 वोट हासिल हुए। मतलब ये है कि यूपी में सुभासपा को वोट प्रतिशत 1.4 फीसदी मिला।
क्या कहते हैं जातीय समीकरण?
सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर राजनीति में राजभर समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं में गिने जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में राजभर समाज की कुल आबादी लगभग 4 प्रतिशत है। कुछ जगह राजभर समाज 20 फीसदी के आसपास है तो कुछ क्षेत्रों में उनकी आबादी 10 प्रतिशत के करीब है।
जातीय समीकरण को समझा जाए तो तकरीबन 18 ऐसे जिले हैं, जहां में राजभर वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों में राजभर समाज का प्रभाव है।
UP में BJP के पास दूसरे छोटे दल भी
ओमप्रकाश के अब बीजेपी के साथ आने राजभर समुदाय की उनका वोटबैंक भी अब एनडीए को मिल जाएगा। सुभासपा के अलावा बीजेपी के उत्तर प्रदेश में अन्य सहयोगी दलों की बात करें तो उनके निषाद पार्टी और अपना दल (एस) भी शामिल हैं। पूर्वांचल में इन दलों का भी काफी प्रभाव है।
अपना दल (एस) 2014 से ही बीजेपी के साथ है। उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में अपना दल (एस) दो सांसद और 13 विधायक हैं। अनुप्रिया पटेल इस दल का नेतृत्व करती हैं, जो कुर्मी समाज से आती हैं। इसके अलावा निषाद पार्टी के पास 11 विधायक हैं। निषाद समुदाय का भी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक में काफी असर है। फिलहाल बीजेपी इन छोटे दलों को साथ लेकर 2024 के लिए हुंकार भरने वाली है।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 16 July 2023 at 12:13 IST
