अपडेटेड 12 April 2025 at 23:44 IST
West Bengal: मुर्शिदाबाद में हिंसा को लेकर हिमंत बिस्व सरमा का ममता पर तंज, बोले- '40 फीसदी मुस्लिम आबादी फिर असम में शांति'
वक्फ संशोधन अधिनियम बजट सत्र के दौरान संसद से पारित हुआ था। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक विधि का रूप ले चुका है।
Himanta Biswa Sarma On Murshidabad Violence: संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद वक्फ संशोधन कानून पर राष्ट्रपति की मुहर लग गई और सरकार ने नोटीफिकेशन भी जारी कर दिया लेकिन अभी भी विपक्षी पार्टियां और कुछ मुस्लिम नेता ये बात स्वीकार करने को तैयार ही नहीं हैं कि वक्फ संशोधन कानून लागू हो चुका है। ऐसे में विपक्षी दलों के नेता अपने-अपने राज्यों में भड़काऊ भाषण देकर अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रहे हैं। ताजा मामला पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद का है। जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शह पर अल्पसंख्यकों ने हिंसा फैलाई हुई है। ऐसा नहीं है कि जहां मुस्लिम ज्यादा हैं वहां वो उत्पात मचा रहे हों। मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि असम में तो 40 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है लेकिन वहां शांति बनी हुई है।
असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर उत्पन्न स्थिति पर अपनी राजनीतिक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष और आलोचकों को स्पष्ट संकेत दिया है कि असम में जनभावनाएं इस कानून के विरोध में नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बावजूद असम में शांति और सद्भाव कायम है। वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर केवल तीन स्थानों पर ही छिटपुट विरोध दर्ज हुआ, और किसी भी प्रदर्शन में 150 से अधिक लोग शामिल नहीं हुए।"
सियासी रूप से असम सीएम ने अपनी पोस्ट से दो अहम संदेश दिए
हिमंता बिस्व सरमा का यह वक्तव्य राजनीतिक रूप से दो अहम संदेश देता है पहला, राज्य सरकार की नीति और निर्णयों को व्यापक सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त हो रही है; और दूसरा, असम में सांप्रदायिक सौहार्द के नाम पर भ्रामक नैरेटिव गढ़ने की कोशिशें ज़मीन पर असर नहीं छोड़ पा रही हैं। राज्य में स्थिरता बनाए रखने और तथाकथित 'धार्मिक ध्रुवीकरण' के आरोपों को खारिज करने की दिशा में यह बयान एक रणनीतिक पहल माना जा रहा है। इसके ज़रिए सरमा ने अपने प्रशासन की मज़बूत पकड़ और जनसमर्थन का संकेत दिया है, साथ ही यह भी दर्शाया है कि असम अब भावनात्मक उकसावे की राजनीति से ऊपर उठ चुका है।
सीएम सरमा ने असम में शांति का पुलिस को दिया श्रेय, विपक्ष के नैरेटिव को करारा जवाब
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर जहां देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखे जा रहे हैं और कुछ राज्यों, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, में यह प्रदर्शन हिंसक रूप भी ले चुके हैं, वहीं असम में स्थिति बिल्कुल अलग नजर आई। मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा ने इसे राज्य सरकार की सुव्यवस्थित रणनीति और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मुस्तैदी का परिणाम बताया है। सीएम सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने बयान में कहा, “असम पुलिस को उनके व्यापक जमीनी कार्य के लिए मेरी बधाई, जिसने शांति और व्यवस्था बनाए रखने में मदद की। असम भर में लोग जाति, पंथ, समुदाय और धर्म से परे एकजुट हैं और हमारे प्रिय बोहाग बिहू का स्वागत खुशी और सद्भाव के साथ करने की उत्सुकता से तैयारी कर रहे हैं।” हालांकि राज्य के कुछ हिस्सों में मुस्लिम समूहों द्वारा वक्फ अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दर्ज किए गए, परंतु इनमें भागीदारी सीमित रही और किसी भी प्रदर्शन में बड़ी संख्या नहीं जुटी।
केंद्र सरकार के विधेयक को मिला संसद में व्यापक समर्थन
वक्फ संशोधन अधिनियम बजट सत्र के दौरान संसद से पारित हुआ था। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक विधि का रूप ले चुका है। राज्यसभा में यह 128 मतों के समर्थन और 95 के विरोध से पारित हुआ, जबकि लोकसभा में लंबी बहस के बाद 288 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट दिया, और 232 ने इसका विरोध किया। जहां विपक्ष ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार देने का प्रयास किया, वहीं केंद्र और असम सरकार ने इसे पारदर्शिता, जवाबदेही और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा सुधार बताया।
राजनीतिक संदेश साफ, असम 'विरोध की राजनीति' से ऊपर उठ चुका है
मुख्यमंत्री सरमा के बयानों और असम में शांतिपूर्ण वातावरण को देखते हुए यह साफ हो गया है कि राज्य की जनता भावनात्मक और सांप्रदायिक उकसावे की राजनीति के बजाय सामाजिक स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दे रही है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर असम में जिस परिपक्वता का परिचय दिया गया, वह राजनीतिक रूप से सरकार की पकड़ और नीति की स्वीकृति को दर्शाता है। सरमा का यह राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट है कि असम अब 'टूलकिट राजनीति' या बाहरी प्रभाव से संचालित विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं बनने जा रहा।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 12 April 2025 at 18:21 IST