अपडेटेड 29 February 2024 at 19:23 IST

इतिहास में पहली बार हिमाचल प्रदेश में दल-बदल विरोधी कानून का प्रयोग, अब क्या है विधानसभा का गणित?

Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी विधायक को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।

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हिमाचल प्रदेश में दल-बदल विरोधी कानून का प्रयोग | Image: PTI

Himachal Political Crisis : राज्यसभा चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश में जारी सियासी संग्राम के बीच कांग्रेस सत्ता बचाने में कामयाब रही। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 कांग्रेसी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है। बागी विधायकों को व्हिप के उल्लंघन का दोषी माना गया है। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इस आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की मांग की थी।

अयोग्य घोषित किए गए विधायकों में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, इंद्रदत्त लखनपाल, देवेंद्र कुमार भुट्‌टो, रवि ठाकुर और चैतन्य शर्मा शामिल हैं। बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन में कुल विधायकों की संख्या 68 से घटकर 62 रह गई है। इससे कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है और बहुमत का आंकड़ा 32 रह गया है।

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी विधायक को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने 6 बागी विधायकों की अयोग्यता की घोषणा करते हुए कहा कि वे दल-बदल रोधी कानून के तहत अयोग्यता के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया और वे तत्काल प्रभाव से सदन के सदस्य नहीं हैं।

संसदीय कार्य मंत्री ने की थी मांग

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट देने वाले ये विधायक बजट पर मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार शाम अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की थी और मांग की थी कि इन सदस्यों को सदन में अनुपस्थित रहने और बजट के लिए मतदान करने के पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर दल-बदल रोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जाए।

विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उन्हें सुनवाई के लिए बुधवार दोपहर 1.30 बजे उपस्थित होने को कहा था। ये विधायक मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद पंचकूला चले गए थे और बुधवार को सुनवाई के लिए पहुंचे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अध्यक्ष ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था और गुरुवार को अयोग्य करार दिया।

क्या है दल-बदल विरोधी कानून?

दल-बदल विरोधी कानून के तहत, कोई भी निर्वाचित सदस्य जो स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है या अपने राजनीतिक दल द्वारा जारी किसी भी निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करता है या मतदान से अनुपस्थित रहता है, तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।

विधानसभा अध्यक्ष के अनुसार, कांग्रेस ने बजट पर मतदान के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए सदस्यों को व्हिप जारी किया था। इन विधायकों ने उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर किए थे, लेकिन बजट पर मतदान के दौरान सदन से अनुपस्थित रहे। इन सदस्यों को व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर व्हाट्सऐप और ई-मेल के माध्यम से नोटिस जारी किया गया था और सुनवाई के लिए उपस्थित होने को कहा गया था।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 29 February 2024 at 18:41 IST