अपडेटेड 20 April 2025 at 15:01 IST

'ओवैसी को सता रहा इस बात का डर कहीं मदनी गुट...', BJP नेता अमित मालवीय का तंज; कहा- विरोध के लिए मुस्लिम नेताओं में मची होड़

अमित मालवीय ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा है कि वक्फ कानून का विरोध करने वाले ये नेता खुद को मुस्लिम वोटों के संरक्षक के तौर पर पेश कर रहे हैं।

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'ओवैसी को सता रहा इस बात का डर कहीं मदनी गुट...', BJP नेता अमित मालवीय का तंज; कहा- विरोध के लिए मुस्लिम नेताओं में मची होड़ | Image: X and PTI

वक्फ कानून को लेकर विपक्ष और कुछ मुस्लिम नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी है। ऐसे में अब बीजेपी नेता और बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मुस्लिम वोटों की अगुवई की होड़ में मुस्लिम नेताओं पर तंज कसा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा है कि वक्फ कानून का विरोध करने वाले ये नेता खुद को मुस्लिम वोटों के संरक्षक के तौर पर पेश कर रहे हैं। ऐसे में हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं पूरा क्रेडिट मदनी गुट न मार ले जाए।


एआईएमपीएलबी मुस्लिम हितों से जुड़े मामलों में चुप नहीं दिखना चाहता। यही बात अन्य मुस्लिम याचिकाकर्ताओं पर भी लागू होती है, जिनमें इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी और अन्य लोग शामिल हैं, जो मुस्लिम राजनीति में अपनी-अपनी पार्टियों को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता मुस्लिम वोट बैंक पर अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए सांप्रदायिक दंगे भड़काने में एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। मुस्लिम वोटों के लिए प्रतिस्पर्धी गुटों के बीच एक-दूसरे से आगे निकलने के इस खेल में, गरीब मुसलमान पीड़ित है, जबकि जनता का बहुमूल्य समय बर्बाद हो रहा है।


ओवैसी को सता रहा इस बात का डर...

अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, 'विभिन्न मुस्लिम नेताओं और संगठनों द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम के खिलाफ दायर विरोध और याचिकाएं मुस्लिम वोटों के संरक्षक के रूप में खुद को स्थापित करने के प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं हैं। असदुद्दीन ओवैसी यह सुनिश्चित करने के लिए खुद को मुखर कर रहे हैं कि महमूद मदनी गुट सारा श्रेय लेकर न चला जाए।'  वक्फ संशोधन अधिनियम एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा समीक्षा के बाद कठोर परामर्श प्रक्रिया से गुजरा है। पिछले कई न्यायिक फैसलों की जांच की गई है, और सभी पहलुओं की गहन जांच की गई है। इसके पहले सीएए के पारित होने और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के दौरान भी इसी तरह का तूफान मचा था - दोनों को अदालत में चुनौती दी गई और न्यायिक जांच में भी वे खरे नहीं उतरे।

 

CAA के समय भी उठा था विपक्ष का सियासी घमासान लेकिन…

जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पारित हुआ और जब अनुच्छेद 370 को समाप्त कर एक राष्ट्र, एक संविधान के सपने को साकार किया गया और तब भी विपक्ष ने इसी तरह का सियासी तूफान खड़ा किया था। कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं थीं, न्यायिक समीक्षा की मांग की गई, लेकिन इन निर्णयों की संवैधानिकता और कानूनी वैधता न्यायपालिका की कसौटी पर पूरी तरह खरी उतरी। आज इतिहास गवाह है कि ये निर्णय न केवल वैधानिक रूप से दृढ़ हैं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा और नागरिक अधिकारों की दिशा में निर्णायक कदम भी साबित हुए हैं।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 20 April 2025 at 15:01 IST