अपडेटेड 14 May 2024 at 11:52 IST

'काशी के कोतवाल' से आशीर्वाद ले पीएम भरेंगे पर्चा, जाने क्यों है काल भैरव की महिमा अपरंपार

काल भैरव को भगवान शिव के एक शक्तिशाली स्वरूप के रूप में पूजा जाता है, जिन्हें पवित्र शहर काशी (वाराणसी) की रक्षा करने का काम सौंपा गया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | Image: x/ ani/video grab

PM Nomination: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी के कोतवाल यानि वाराणसी के संरक्षक काल भैरव का आशीष ले कलेक्ट्रेट दफ्तर में पर्चा भरेंगे। 26 अप्रैल, 2019 को भी वाराणसी लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र जमा करने से पहले यहां पहुंचे थे, बाबा का आशीष ले नॉमिनेशन पत्र दाखिल किया था।

बाबा काल भैरव को काशी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वो भगवान भोलेनाथ के रौद्र रूप को दर्शाते हैं। मान्यता है कि वो हर बाधा, नजर जैसी नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति दिलाते हैं। पौराणिक कथानुसार काल भैरव को स्वयं भगवान शिव ने काशी में नियुक्त किया था इसलिए इन्हें नाम मिला काशी के कोतवाल।

महिमा जिसने समझी उसका बेड़ा पार...

बाबा काशी कोतवाल शाक्त परंपरा में प्रसिद्ध, काल भैरव को भगवान शिव के एक शक्तिशाली स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि काशी में जो रहने की इच्छा रखता है उसे उनकी अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की शिक्षाओं को समझने के लिए काल भैरव का सम्मान करना आवश्यक है और इसके बिना वाराणसी की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मतलब अगर वाराणसी जाएं और काशी के कोतवाल का आशीर्वाद ले आगे बढ़ें तो सभी काम सिद्ध हो जाते हैं।

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कैसे हैं काशी कोतवाल बाबा?

शब्द "कोतवाल" का मतलब ही है सतर्क रक्षक। वहीं "बाबा" का प्रयोग सम्मान सूचक होता है। उनका रूप अनोखा और आकर्षक है। काशी के कोतवाल कुत्ते की सवारी, हाथों में लहराता त्रिशूल और खोपड़ियों की भयानक माला पहने हैं, उनका रूप ही मंशा दर्शाता है। काशी कोतवाल बाबा काल भैरव उन भक्तों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है जो सुरक्षा, धन और बाधाओं को दूर करने की इच्छा लिए पहुंचते हैं। भक्त सर्वशक्तिमान का अनुग्रह प्राप्त करने की आशा में देवता को शराब, मांस, फूल और सिन्दूर की बलि देते हैं, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे लौकिक व्यवस्था और शहर की पवित्रता को बनाए रखते हैं।

काशी कोतवाल बाबा: मिथकों में शक्तिशाली व्यक्ति

तो कथा कुछ यूं है कि एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ गई। सवाल एक कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश में सबसे महान कौन है? चर्चा के बीच शिवजी का जिक्र आने पर ब्रह्माजी के पांचवें मुख ने शिव की आलोचना कर दी, जिससे शिवजी को गुस्सा आ गया। उसी क्षण भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने शिवजी की आलोचना करने वाले ब्रह्माजी के पांचवें मुख को अपने नाखुनों से काट दिया। ऐसे में  ब्रह्मा जी का कटा हुआ मुख काल भैरव के हाथ से चिपक गया।  शिव जी ने भैरव से कहा कि तुम्‍हें ब्रह्म हत्‍या का पाप लग चुका है और इसकी सजा है कि तुम्‍हें एक सामान्‍य व्‍यक्ति की तरह तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा। जहां मुख तुम्‍हारे हाथ से छूट जाएगा, वहीं पर तुम इस पाप से मुक्‍त हो जाओगे। शिवजी की आज्ञा से काल भैरव तीनों लोकों की यात्रा पर चल दिए।
काशी में वो अपने हाथ से कटा मुख हटाने में असमर्थ रहे। दैवीय हस्तक्षेप के एक क्षण के कारण खोपड़ी अपनी पकड़ से छूट गई और जमीन से टकरा गई, जिससे भगवान शिव खुशी से नृत्य करने लगे।

फिर शिव का आदेश...

इसके बाद भगवान शिव ने काल भैरव को प्रमुख न्याय-प्रशासक या संरक्षक की भूमिका प्रदान की। उन्हें काशी के रक्षक के रूप में नामित किया। काशी के शासक के रूप में, भगवान शिव के साथ काल भैरव भी हैं, जो उनके सजग रक्षक हैं, पवित्र लोगों को पुरस्कृत करते हैं और अपराधियों को दंडित करते हैं। माना जाता है कि मृत्यु के देवता यम इतने शक्तिशाली हैं कि उन्हें काशी की पवित्र दीवारों के अंदर अपनी शक्ति का उपयोग करने से मना किया गया है। जो भक्त मानते हैं कि कठिन यात्राओं पर, विशेष रूप से रात में, काल भैरव उन पर सतर्कता से नजर रखते हैं, वे उन्हें सुरक्षा के लिए बुलाते हैं। उन्हें शनि के गुरु के रूप में भी सम्मानित किया जाता है और दावा किया जाता है कि वे अपने अनुयायियों को ऋण, दुःख, दुर्भाग्य और शीघ्र मृत्यु से बचाते हैं।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 14 May 2024 at 11:41 IST