अपडेटेड 23 September 2023 at 22:45 IST
Parivartini Ekadashi: साल में एक बार आती है परिवर्तिनी एकादशी, जानें क्या है इसका महत्व
परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत, श्रीहरि के मंत्रों का जाप और उनका अभिषेक करने से दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल जाता है।
Parivartini Ekadashi Vrat Ka Mahatav: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। इसी में साल में एक बार आने वाली परिवर्तिनी एकादशी भी शामिल है। हर साल भाद्रपद यानी भादो माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी तिथि का व्रत रखा जाता है। इसे जलझूलनी एकादशी और डोल ग्यारस भी कहते हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग इसके महत्व के बारे में जाते हैं। तो चलिए इस आर्टिकल में परिवर्तिनी एकादशी के महत्व के बारे में जानते हैं।
स्टोरी में आगे ये पढ़ें...
- किस दिन रखा जाएगा परिवर्तिनी एकादशी का व्रत?
- परिवर्तिनी एकादशी व्रत का क्या है महत्व?
किस दिन रखा जाएगा परिवर्तिनी एकादशी का व्रत?
इस साल परिवर्तिनी एकादशी 25 सितंबर 2023 की सुबह 07:55 से अगले दिन 26 सितंबर सुबह 5 बजे तक रहेगी। एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय से ही किया जाता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही समाप्त होता है। ऐसे में 25 सितंबर 2023 को ही परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का क्या है महत्व?
पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के मुताबिक जो व्यक्ति परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसे जीवन में कई प्रकार के संकटों से मुक्ति मिल जाती है। परिवर्तिनी एकादशी में भगवान विष्णु और भगवान गणेश की उपासना का एक साथ अवसर श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से वाजपेई यज्ञ और स्वर्ण दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस विशेष दिन पर वामन देव की भी उपासना की जाती है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 23 September 2023 at 22:07 IST