अपडेटेड 24 April 2025 at 16:39 IST
Pahalgam: स्वर्ग जैसा माहौल था, 5 मिनट में सब खत्म...हम दलदल में कूदे, 7-8 KM जंगल में पैदल चले, चश्मदीद की आंखों देखी
पहलगाम आतंकी हमले के सरवाइवर तिलक रूपचांदनी ने बताया पूरा माहौल अच्छा था, तभी पीछे से एक साथ फायरिंग की आवाज आने लगी।
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के सरवाइवर तिलक रूपचांदनी ने बताया पूरा माहौल अच्छा था, लोग इंजॉय कर रहे थे, काफी फैमिली थीं, बच्चे थे ऐसा कुछ लगी नहीं रहता कि ऐसा कुछ होने वाला है, ऐसा लगा था हम स्वर्ग में हैं। मैं खुद को लकी मानता हूं कि जो एग्जिट गेट था वहां पर मैं उस एग्जिट गेट के पास खड़ा था। तभी पीछे से एक साथ फायरिंग की आवाज आने लगी वहां पर जो लोग मौजूद थे, फायरिंग की आवाज सुनते ही सारी पब्लिक गैलरी की तरफ भागने लगी, मुझे गैलरी के पीछे का है नहीं दिखाई दिया जहां पर आतंकवादी थे।
मैंने अपनी वाइफ को दलदल में धक्का दिया, उन्हें नीचे उतरा और हम 7 से 8 किलोमीटर पैदल चलकर नीचे की तरफ गए। हम लोग इस दौरान तीन से चार बार रास्ते में गिरे, वाइफ का पैर मुड़ गया, मेरे बेटे और मैंने उन्हें बहुत मुश्किल से 7 से 8 किलोमीटर पहाड़ उतार के नीचे लाए। इसके बाद मैं आर्मी वालों से कहा उन्होंने मुझे मेरी कर तक छोड़ हो फिर मैं अपनी कर से अपनी वाइफ को अस्पताल तक ले गया।
हर कोई जान बचाने के लिए बस भाग रहा था- तिलक रूपचांदनी
तिलक रूपचांदनी ने बताया वहां बहुत डर का माहौल हो गया, लोग गिर रहे थे, कोई पत्थर पर गिर रहा था, कोई नदी पर गिर रहा था, एक दूसरे को उठा रहे थे और चलते जा रहे थे। एक बंदा मेरे बाजू में आया वह बहुत ज्यादा रो रहा था। सिचुएशन कंट्रोल से बाहर थी, मैंने उसे रोका और उसने मुझे बताया कि आतंकवादी में मेरे भाई के सर में गोली मार दी और मैं उनके लिए रुक भी नहीं पाया। लगातार गोलियां चल रही थी काफी देर फायरिंग हुई। पहाड़ उतरते समय मैं एक बार के अलावा दोबारा पीछे मुड़कर देखा ही नहीं,लगातार गोलियों की आवाज सुनकर मेरा दिमाग काम ही नहीं कर रहा था। बस मैं जान बचाकर नीचे आना चाहता था। हम सिर्फ भाग रहे थे। जो लोग घायल थे वह भी भाग रहे थे, कोई रुका नहीं वहां पर, क्योंकि रुकने मतलब पीछे से कहां गोली लग जाए, किसीको नहीं पता, जैसे भी हो वैसे नीचे पहुंचे। लोग गिर रहे थे लेकिन रुक नहीं रहे थे।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 24 April 2025 at 16:39 IST