अपडेटेड 29 July 2023 at 07:39 IST

Vrat Katha: आज रखा जाएगा मलमास की पद्मिनी एकादशी का व्रत? इस कथा के बिना अधूरी होती है पूजा

मलमास में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं बात जब 3 साल में एक बार पड़ने वाली एकादशी की हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। 

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Padmini Ekadashi Vrat Katha | Image: self

Padmini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में मलमास का बेहद खास महत्व माना जाता है। ये पूरा महीना पूजा-पाठ और धर्म-करम के लिए जाना जाता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहार काफी महत्वपूर्ण होते हैं। वहीं जब बात हर महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली एकादशी की हो तो उसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। 3 साल में एक बार मलमास माह में पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन पूजा के बाद व्रत कथा पड़ना बेहद जरूरी होता है। कहा जाता है कि बिना कथा पड़े ये व्रत अधूरा माना जाता है। नींचे पढ़े पद्मिनी एकादशी व्रत कथा।

स्टोरी में आगे ये पढ़ें........

  • क्यों रखा जाता है पद्मिनी एकादशी व्रत?
  • पद्मिनी एकादशी व्रत कथा?

क्यों रखा जाता है पद्मिनी एकादशी व्रत?

वैसे तो हर महीने पड़ने वाली एकादशी का भी बेहद खास महत्व होता है, लेकिन सावन के अधिकमास में पड़ने वाली एकादशी और भी ज्यादा खास हो जाती है। कहते हैं पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल ये व्रत 29 जुलाई 2023 को रखा जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन पूजा के बाद कथा जरूर पड़नी चाहिए नहीं तो व्रत अधूरा रह जाता है। 

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा?

त्रेता युग में एक पराक्रमी राजा कृतवीर्य था। इस राजा की कई रानियां थी लेकिन किसी भी रानी से राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। ऐसे में संतानहीन होने के कारण राजा और उनकी रानियां तमाम सुख सुविधाएं होने के बावजूद दुखी रहते थे। एक बार राजा ने संतान प्राप्ति के लिए तपस्या का विचार किया और फिर अपनी सभी रानियों के साथ तपस्या के लिए चल पड़े। हजारों वर्ष तक तपस्या करते रहने के बाद राजा के शरीर में सिर्फ हड्डियां ही शेष रह गयी थी लेकिन उनकी तपस्या सफल न हो सकी। तब उनकी एक रानी ने देवी अनुसूया से उपाय पूछा। तब देवी अनुसूया ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा।

उन्होंने रानी को पद्मिनी व्रत का पूरा विधि-विधान बताया। रानी ने तब देवी अनुसूया के द्वारा बताए गए विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा। जब रानी का व्रत पूरा हुआ तब भगवान विष्णु प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा, रानी ने भगवान से कहा हे प्रभु, आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दीजिए। भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा।

जिस पर राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो और तीनों लोकों में आदरणीय हो और आपके अलावा कोई और उसे पराजित न कर सके। इसके बाद भगवान ने तथास्तु कहा और चले गए। कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। कालान्तर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ जिसने रावण को भी बंदी बना लिया था। कहते हैं कि यह कथा सबसे पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सुनाकर इसके माहात्म्य से अवगत करवाया था।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 29 July 2023 at 07:39 IST