अपडेटेड 18 May 2025 at 18:02 IST

BrahMos खरीदने के लिए कतार में लगे देश, लेकिन बेचने से पहले भारत को इस देश से लेनी होगी इजाजत, जानें आखिर क्यों?

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए होड़ मची हुई है। भारत इस वजह से दूसरे देशों को ये मिसाइल नहीं बेच सकता है।

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ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की मची होड़। | Image: ANI

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की सशस्त्र सेनाओं ने पाकिस्तान के कई प्रमुख एयरबेस पर सटीक और योजनाबद्ध तरीके से हमले किए। वहीं भारत और पाकिस्तान के बीच इस संघर्ष में ब्रह्मोस मिसाइल खूब चर्चा में है। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों में अत्याधुनिक मिसाइलों और आधुनिक गाइडेड हथियारों का उपयोग किया गया, जिसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल शामिल है। इस हमले में पाकिस्‍तान के चार एयरफोर्स एयरबेस रावलपिंडी (चकलाला एयरबेस), जकोबाबाद, भोलारी और स्‍कर्दू तबाह हो गए। ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत की चर्चा अब दुनियाभर में हो रही है। कई देशों ने तो भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की  डील करने के लिए इच्छा भी जता दी है। हालांकि, भारत ब्रह्मोस मिसाइल किसी दूसरे देश को नहीं बेच सकता है।

किसी भी अन्य देशों के साथ डील करने से पहले भारत को रूस से मिसाइल बेचने की इजाजत लेनी होगी। दरअसल, ब्रह्मोस मिसाइल के पार्टनरशिप में भारत की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की 49.5% है। यही कारण है कि किसी भी दूसरे देश को ये मिसाइल बेचने के लिए भारत को रूस से अनुमति लेनी होगी।

इन देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल में दिखाई रूचि

भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के इच्छुक देशों में थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ओमान का नाम शामिल है। इन देशों ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रूचि दिखाई है। वहीं भारत ने फिलिपिंस के साथ पहले ही 2022 में डील की थी और एक खेप ब्रह्मोस की डिलीवरी भी हो चुकी है। दूसरा खेप 2026 में डिलीवर किया जा सकता है।

ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल एक अत्याधुनिक, बहु-प्रभावी मिसाइल प्रणाली है जिसे भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम “ब्रह्मोस एयरोस्पेस” ने विकसित किया है। यह विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है। ब्रह्मोस का नाम नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी से लिया गया है। यह BrahMos Aerospace Pvt. Ltd. (भारत का DRDO और रूस का NPOM का संयुक्त उद्यम) है।

कई प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है ब्रह्मोस

इसकी स्‍पीड लगभग 2.8 से 3.0 Mach (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) है। इसकी रेंज करीब 290 KM है। ब्रह्मोस को कई प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। इसे जमीन से, जहाज से, पनडुब्बी से लॉन्‍च किया जा सकता है। ब्रह्मोस का निर्यात कुछ मित्र देशों को करने की योजना है। फिलीपींस इसका पहला विदेशी ग्राहक बन चुका है। ब्रह्मोस की सुपरसोनिक गति के कारण इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल होता है। यह दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम है और इसकी सटीकता बेहद उच्च है। एक बार लॉन्च करने के बाद यह लक्ष्य को खुद खोज लेता है। 

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 18 May 2025 at 17:19 IST