अपडेटेड 18 June 2024 at 21:24 IST
आरक्षण को लेकर ओबीसी कार्यकर्ताओं का आंदोलन जारी, सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाया
मराठा आरक्षण की मांग के बीच ओबीसी आरक्षण में छेड़छाड़ नहीं किये जाने के आश्वासन की मांग को लेकर 2 कार्यकर्ताओं ने लगातार छठे दिन यहां अपना अनशन जारी रखा।
मराठा आरक्षण की मांग के बीच अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण में छेड़छाड़ नहीं किये जाने के आश्वासन की मांग को लेकर दो कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को लगतार छठे दिन यहां अपना अनशन जारी रखा और दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार उनके मुद्दों की अनदेखी कर रही है।
ओबीसी अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे 13 जून से जालना जिले के वाडिगोदरी गांव में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। लेकिन इन दोनों कार्यकार्ताओं ने चिकित्सकों को अपने स्वास्थ्य की जांच करने की अनुमति नहीं दी और ना ही नसों के जरिये शरीर में किसी तरल पदार्थ को प्रवेश कराने की अनुमति दी।
पत्रकारों से बात करते हुए हाके ने दावा किया कि सरकार मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे को तरजीह देते हुए ओबीसी के मुद्दों की अनदेखी कर रही है। हाके ने ओबीसी कोटा के मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और अन्य मराठा नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘मराठा समुदाय को पिछड़ा कैसे माना जा सकता है, जबकि इसके 32 सदस्य हाल के लोकसभा चुनाव में राज्य से सांसद के रूप में चुने गए हैं।’’
वाडिगोदरी जालना में अंतरवाली सरती गांव के पास स्थित है, जहां जारांगे ने हाल ही में ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल की थी। ओबीसी आंदोलनकारियों ने कहा है कि वे मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इससे अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में खलल नहीं पड़ना चाहिए। हाके ने सरकार से मंगलवार को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में इस मामले में निर्णय लेने का आग्रह किया। उन्होंने सरकार की उस मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग दोहराई जो कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के रक्त संबंधी के रूप में मान्यता देती है।
उन्होंने दावा किया कि सरकार जारांगे के ‘दबाव’ में मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि ओबीसी कोटा से कुनबियों को फायदा हो रहा है। कुनबी, एक कृषि प्रधान समूह, ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और जारांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र जारी किए जाएं, ताकि वे आरक्षण पाने के पात्र बन सकें। हाके ने दावा किया, ‘‘महाराष्ट्र एक प्रगतिशील राज्य के रूप में जाना जाता है, फिर भी ओबीसी समुदाय को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आवाज दबाई जा रही है और कोई भी मराठा नेता हमारे विरोध स्थल पर नहीं आ रहा है। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम हार नहीं मानेंगे।’’ महाराष्ट्र के मंत्री अतुल सावे, राज्यसभा सदस्य डॉ. भागवत कराड और शिवसेना सांसद संदीपन भुमरे की सदस्यता वाले एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार सुबह कार्यकर्ताओं से उनका उपवास समाप्त करने या कम से कम पानी पीने का अनुरोध किया। लेकिन कार्यकर्ता अपना आंदोलन जारी रखने पर अड़े हुए हैं और सरकार से ओबीसी आरक्षण की सुरक्षा का लिखित आश्वासन देने की मांग कर रहे हैं।
राज्य के राकांपा मंत्री धनंजय मुंडे और उनकी चचेरी बहन और भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने भी सोमवार शाम को ओबीसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। पंकजा मुंडे ने कार्यकर्ताओं की बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डालते हुए सरकार को सभी प्रदर्शनकारियों के साथ समान व्यवहार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रदर्शनकारियों ने पानी पीना भी बंद कर दिया है। धनंजय मुंडे ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि वह उनकी मांगों को सरकार के सामने रखेंगे।
ये भी पढ़ें-
Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 18 June 2024 at 21:24 IST