अपडेटेड 7 July 2024 at 21:27 IST

उत्तर भारत में भूजल संकट, दो दशकों में 450 घन किलोमीटर पानी घटा- Study

उत्तर भारत में साल 2002 से लेकर 2021 तक लगभग 450 घन किलोमीटर भूजल घट गया और निकट भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी मात्रा में और भी गिरावट आएगी।

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Study on groundwater | Image: PTI/File

उत्तर भारत में साल 2002 से लेकर 2021 तक लगभग 450 घन किलोमीटर भूजल घट गया और निकट भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी मात्रा में और भी गिरावट आएगी। एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर में सिविल इंजीनियरिंग और पृथ्वी विज्ञान के ‘विक्रम साराभाई चेयर प्रोफेसर’ और अध्ययन के मुख्य लेखक विमल मिश्रा ने बताया कि यह भारत के सबसे बड़े जलाशय इंदिरा सागर बांध की कुल जल भंडारण मात्रा का करीब 37 गुना है।

शोधार्थियों ने अध्ययन के दौरान यह पता लगाया कि पूरे उत्तर भारत में 1951-2021 की अवधि के दौरान मानसून के मौसम (जून से सितंबर) में बारिश में 8.5 प्रतिशत कमी आई। इस अवधि के दौरान इस क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के शोधार्थियों के दल ने कहा कि मानसून के दौरान कम बारिश होने और सर्दियों के दौरान तापमान बढ़ने के कारण सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ेगी और इसके कारण भूजल पुनर्भरण में कमी आएगी, जिससे उत्तर भारत में पहले से ही कम हो रहे भूजल संसाधन पर और अधिक दबाव पड़ेगा।

शोधार्थियों ने 2022 की सर्दियों में अपेक्षाकृत गर्म मौसम रहने के दौरान यह पाया कि मानसून के दौरान बारिश कम होने से फसलों के लिए भूजल की अधिक जरुरत पड़ती है और सर्दियों में तापमान अधिक होने से मिट्टी अपेक्षाकृत शुष्क हो जाती है, जिस कारण फिर से सिंचाई करने की आवश्यकता होती है।

अध्ययन के अनुसार, ‘‘जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून के दौरान बारिश की कमी और उसके बाद सर्दियों में अपेक्षाकृत तापमान अधिक रहने से भूजल पुनर्भरण में लगभग 6-12 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।''

मिश्रा ने कहा, ‘‘इसलिए हमें अधिक दिनों तक हल्की वर्षा की आवश्यकता है।’’ भूजल के स्तर में परिवर्तन मुख्य रूप से मानसून के दौरान हुई वर्षा तथा फसलों की सिंचाई के लिए भूजल का दोहन किये जाने पर निर्भर करता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सर्दियों के दौरान मिट्टी में नमी में कमी आना पिछले चार दशकों में काफी बढ़ गई है, जो सिंचाई की बढ़ती मांग की संभावित भूमिका का संकेत देती है।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 7 July 2024 at 21:27 IST