अपडेटेड 16 October 2023 at 18:45 IST

कोठी, कुकर्म, कत्ल और कंकाल... निठारी कांड की वो कहानी; जिसे सुनकर आज भी कांप जाते हैं लोग

कोठी के पीछे नाले से पुलिस ने 16 मानव खोपड़ियां बरामद कीं। वो दिन 24 दिसंबर 2006 का था।

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Moninder Singh, Surendra Koli and The Nithari Case | Image: self

देश को सन्‍न कर देने वाले निठारी कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी सुरेंद्र कोली की 12 मामलों में और मनिंदर सिंह पंढेर की दो मामलों में फांसी की सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट को ये फैसला सबूतों के आभाव में सुनाना पड़ा है। गौरतलब है कि कोठी D-5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ  दो मुकदमे में ट्रायल कोर्ट  ने फांसी की सजा सुनाई थी।

इसके अलावा सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में फांसी की सजा मिली थी। सीबीआई ने इस कांड में कुल 16 मामले दर्ज किए थे। तो आइए आज आपको साल 2006 के उस कांड के बारे में विस्‍तार से बताते हैं जिसे जानकर आज भी लोग कांप जाते हैं।

खबर में आगे पढ़ें.... 

  • निठारी की 'खूनी कोठी' जिसे कहा जाता है D-5 
  • पुलिस जांच में 16 खोपड़ी हुई थी बरामद 
  • रेप, हत्या के बाद लाश भी गायब

निठारी कांड की पूरी कहानी

नोएडा के सेक्टर 31 के पास एक का गांव जिसे निठारी नाम से जाना जाता है। इस गांव में एक कोठी थी जिसे मोनिंदर सिंह पंढेर ने 2005 में खरीदा था। पंढेर का पूरा घर परिवार पंजाब के चंडीगढ़ में रहता था। लेकिन कामकाज की वजह से मोनिंदर घर से दूर रहता था और उसने कोठी नंबर D-5 खरीद ली थी। नोएडा में ही मोनिंदर की एक फैक्‍ट्री थी।  

नोएडा में परिवार ना होने की वजह से मोनिंदर ने पहले से चंडीगढ़ में काम कर चुके सुरेंद्र कोली को बुला लिया। सुरेंद्र खाना बनाने में काफी एक्सपर्ट था और पंढेर खाने का शौकीन था। मोनिंदर ने सुरेंद्र को रहने के लिए एक कमरा दिया जो कि छत पर ही बना हुआ था। जाहिर है काम में व्यस्त रह रहे मोनिंदर को काफी समय शहर से बाहर ही रहना पड़ता था। जिसके चलते सुरेंद्र मालिक की तरह ही कोठी में रहता था।   

कैसे सामने आया निठारी कांड का सच बाहर ?

पास में ही रह रही एक महिला जो कि दूसरों के घर में काम काज करती थी, 31 अक्टूबर 2006 को यह कहकर घर से निकली कि उसे सुरेंद्र कोली ने डी-5 में बुलाया है। दरअसल इस महिला ने पंढेर के कोठी पर पहले भी साफ-सफाई का काम किया है। जाहिर है कि उस दिन भी महिला कोठी पर काम की बात करने ही गई थी। लेकिन उस दिन के बाद से महिला का कुछ पता ही नहीं चल पाया, उसके परिजनों ने उसे खूब ढूंढा। 

सबसे चौंका देने वाली बात तब सामने आई जब कोठी के पीछे नाले से पुलिस ने 16 मानव खोपड़ियां बरामद कीं। वो दिन 24 दिसंबर 2006 का था। इस घटना को देख कर पुलिस के साथ-साथ आसपास के लोग भी दहशत में आ चुके थे। खोपड़ियों को प्रयोगशाला भेजने के बाद जांच में यह पता चला कि उन 16 खोपड़ियों में से एक खोपड़ी उस महिला की भी थी जिसे सुरेंद्र ने बुलाया था।  

हालांकि, जानकारी के मुताबिक वो महिला पहले भी काम करती थी। लेकिन प्रेगनेंसी के कारण उसने ये नौकरी छोड़ी थी। बच्चा होने के बाद वो महिला फिर से उस कोठी पर काम करना चाहती थी। 

चंडीगढ़ सीएफएसएल ने किया बड़ा खुलासा 

सुरेंद्र कोली ने उस महिला से बात की थी, जिसके चलते वो उससे बात करने गई थी। भला महिला को क्या पता था कि यह उसका आखिरी दिन होने वाला है। पुलिस जांच में सुरेंद्र कोली ने हवेली के पीछे से कई कपड़े, जूते भी बरामद करवाए थे। इनमे से एक साड़ी वो थी जो कि लापता महिला ने सुरेंद्र से मिलते वक्त पहना था।

डीएनए टेस्ट से लापता महिला की सटीक जानकारी नहीं मिल सकी थी, जिसके कारण उसका एक फोटो और बरामद खोपड़ियां चंडीगढ़ सीएफएसएल भेजी गईं थीं। जांच टीम ने भी उन खोपड़ियों में से एक को उस महिला का बताया। इन तमाम सबूतों के बाद ही निठारी के नर पिशाच की काली सच्चाई लोगों के सामने आई।   

विशेष सीबीआई न्यायाधीश रमा जैन ने 13 फरवरी 2009 को इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि इसके बाद कालांतर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को बरी कर दिया था, लेकिन सुरेंद्र कोली की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने भी सुरेंद्र कोली की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया था।

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Published By : Ujjwal Kumar Chaudhary

पब्लिश्ड 16 October 2023 at 18:40 IST