अपडेटेड 17 October 2024 at 12:50 IST
Nepal: मानव जनित जलवायु परिवर्तन बना बाढ़ जैसी आपदाओं का कारण, जानें...
अंतरराष्ट्रीय सहयोग संस्था ‘वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन’ ने नेपाल में शहरों के निचले, नदी किनारे वाले क्षेत्रों में विकास गतिविधियों को सीमित करने तथा बाढ़ आपदाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली और त्वरित कार्रवाई बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग संस्था ‘वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन’ ने नेपाल में शहरों के निचले, नदी किनारे वाले क्षेत्रों में विकास गतिविधियों को सीमित करने तथा बाढ़ आपदाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली और त्वरित कार्रवाई बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। संगठन ने अपनी हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला है कि ‘‘नेपाल में तीन दिनों तक हुई भारी बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है।’’ सितंबर के अंत में नेपाल में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति और भूस्खलन के चलते कम से कम 244 लोगों की जान चली गई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘‘मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण सामान्य से 10 प्रतिशत से अधिक बारिश हुई।’’
संगठन ने चेतावनी दी…
संगठन ने चेतावनी दी, ‘‘जब तक विश्व जीवाश्म ईंधन के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग नहीं करेगा, तब तक वर्षा की मात्रा में और भी अधिक बढ़ोतरी होगी, जिससे और अधिक विनाशकारी बाढ़ आने का खतरा बना रहेगा।’’ रिपोर्ट का निष्कर्ष है, ‘‘नेपाल में जलवायु परिवर्तन के कारण ही जबरदस्त बारिश हुई।’’ हाल ही में काठमांडू में हुई भारी बारिश के कारण 50 से अधिक लोग मारे गए और अरबों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में पर्यावरण नीति केंद्र की शोधकर्ता मरियम जकारिया ने कहा, ‘‘अगर वायुमंडल पूरी तरह जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन से भरा नहीं होता तो यह बाढ़ कम विनाशकारी होती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह अध्ययन बढ़ती हुई बारिश के प्रति एशिया की संवेदनशीलता को दर्शाता है। अध्ययन ने सिर्फ 2024 में ही भारत, चीन, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान और अब नेपाल में भीषण बाढ़ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर किया है।’’
नेपाल में 26 सितंबर से तीन दिनों तक हुई अत्यधिक वर्षा के बाद बाढ़ की स्थिति बन गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मध्य और पूर्वी नेपाल में बारिश के रिकॉर्ड टूट गए, कुछ मौसम केंद्रों ने 28 सितंबर को 320 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की। यह अध्ययन ‘वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन’ समूह के 20 शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था जिसमें नेपाल, भारत, स्वीडन, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों तथा मौसम संबंधी एजेंसियों के वैज्ञानिक शामिल थे।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 17 October 2024 at 12:50 IST