अपडेटेड 11 September 2023 at 13:13 IST

Navratri 2023: नवरात्रि शुरू होने से पहले ही सूरत में दिखी 'गरबा' की झलक

कब से शुरू हो रही है नवरात्रि? वो कहते हैं ना नाचो तो ऐसे नाचो जैसे कोई देख न रहा हो, जानें गरबा और नवरात्रि का महत्व।

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dance Garba, PC: Unsplash | Image: self

Garba in Navratri Festival: हिंदू धर्म में नवरात्रि बहुत पवित्र पर्व माना जाता है इसलिए नवरात्रि आने से कई दिनों पहले ही माता रानी की पूजा को लेकर तैयारियां शुरू हो जाती है। इस साल नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 (रविवार) से हो रही है, जो कि 23 अक्टूबर 2023 (मंगलवार) तक मनाई जाएगी।

वहीं खास उत्सव का अभ्यास करते हुए सूरत से पारंपरिक डांस यानी "गरबा" के अभ्यास का एक वीडियो सामने आ रहा है, जिसमें लोग खुशी से झूमते हुए गरबा (डांस) की प्रेक्टिस करते नजर आ रहे हैं।

स्टोरी में आगे पढ़ें...

  • गरबा मतलब ऐसे नाचों जैसे कोई देख न रहा हो
  • गरबा और नवरात्रि का क्या है खास महत्व?

गुजरात के सूरत में नवरात्रि से पहले पारंपरिक पोशाक पहनकर लोगों ने गुजरात के पारंपरिक डांस गरबा का अभ्यास किया क्योंकि अगले महीने से शुरू होने जा रहे नौ दिवसीय उत्सव नवरात्रि पर सभी लोग नवरात्रि उत्सव से पहले अभ्यास करते हैं। इसी का एक वीडियो सामने आया है।

वीडियो में बड़ी संख्या में डांस की प्रेक्टिस की जा रही है और जोर-शोर से जिन्हें डांस आता है वह भी, और जिन्हें नहीं आता वह भी, सभी लोगों को साथ में एक साथ स्टेप सिखाए जा रहे हैं। नृत्य में झूमते लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं। तभी तो गरबा नवरात्रि में खास भूमिका निभाता है। 

 

देखते हो बन रहा उत्साह

वो कहते हैं ना नाचो तो ऐसे नाचो जैसे कोई देख न रहा हो, यह बात सच भी है जब नवरात्रि आती तब लोगों में बहुत उत्साह होता है क्योंकि, यह साल का वह समय होता है जब, वे ऐसे डांस करते हैं जैसे कोई देख नहीं रहा हो।

हिंदू संस्कृति में हम जो कुछ भी करते हैं उसका खास महत्व होता है, इसी तरह गरबा भी बेहद खास है। नौ दिवसीय उत्सव के दौरान इसका अत्यधिक महत्व है। विभिन्न मेलों में जहां गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है, वहां बड़ी हस्तियों से लेकर बिजनेसमैन और आम लोगों तक, हर कोई गरबा डांस का आनंद लेता है और बड़ी खुशी से इसे महसूस करते हुए डांस करता है। 

क्या है गरबा? 

गरबा खास कर गुजरात का एक सामुदायिक नृत्य (डांस) है। इस नृत्य शैली की शुरुआत गुजराती गांवों से शुरू हुई थी, जहां सभी समुदायों द्वारा गांव में आम बैठक किसी खास स्थान पर इसका प्रदर्शन करते हैं।

वहीं खास बात यह है कि अभी भी यह परंपरा जारी है और आज भी इसे उत्साह से मनाया जाता है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में कई सामाजिक कार्यक्रम की तरह गरबा का भी धार्मिक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। 

गरबा को गरबी, गर्भा या गर्भा दीप के नाम से भी जाना जाता है। "गर्भ दीप" एक संस्कृत नाम है जो गर्भ को दर्शाता है, जबकि 'दीप' शब्द का अर्थ छोटे मिट्टी के लालटेन से है। यह अक्सर एक बड़े दीपक या देवी शक्ति की मूर्ति के चारों ओर एक घेरे में किया जाता है।

इसके साथ ही यह भी बताया जाता है कि गरबा वह नृत्य शैली है जो प्रजनन क्षमता का जश्न मनाती है, नारीत्व का सम्मान करती है और मातृ देवता के सभी 9 रूपों को श्रद्धांजलि देती है।

गरबा और नवरात्रि
गुजरात में नवरात्रि भक्ति और पूजा के प्रतीक के रूप में 9 रातों के गरबा नृत्य के साथ मनाई जाती है। दुर्गा के सम्मान में पुरुष और महिलाएं देर रात तक गरबा करते हैं। इन 9 दिनों और रातों के दौरान, कई लोग उपवास करते हैं या एक विशेष आहार का पालन करते हैं। क्योंकि गरबा गुजरात में नवरात्रि समारोहों का अहम मूल है। 

इसके साथ ही गरबा एक घेरे में नृत्य किया जाता है और घेरा समय की हिंदू अवधारणा का प्रतीक है। हिंदू धर्म में समय के चक्र की तरह इसे कहा जा सकता है।

जैसे-जैसे समय बीतता है, जन्म से लेकर मृत्यु से लेकर पुनर्जन्म तक, एकमात्र स्थिर देवी की शक्ति ही होती है, जो कभी न खत्म होने का प्रतीक है। डांस भगवान का प्रतिनिधित्व भी है, क्योंकि जब हम डांस करते हैं तब खुश होते हैं।

खुशी से झूमते हैं नृत्य करते हुए आनंद लेते हैं। झूमते हुए हमें सिर्फ खुशी का अहसास होता है। इसलिए गरबा को खास माना जाता है और नवरात्रि में रात के वक्त सभी लोग मिलकर खुशी मनाते हुए गरबा करते हैं।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 11 September 2023 at 13:13 IST