अपडेटेड 19 June 2024 at 15:48 IST
खिलजी की अज्ञानता पर ज्ञान का तमाचा!बदले की आग में जलाया था विश्वविद्यालय, PM मोदी ने दिलाई नई पहचान
पीएम मोदी ने आज जिस नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया। उस यूनिवर्सिटी को कभी खिलजी ने आग के हवाले कर दिया था।
Nalanda University History: तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार बिहार दौरे पर पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान बिहार को बड़ी सौगात दी। पीएम मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया। इससे पहले पीएम मोदी विश्वविद्यालय के पुराने कैंपस का भी दौरा किया। इस दौरान उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास को लेकर भी कई बड़ी बातें कही।
भारत का पहला और दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की पूरे दुनिया में एक अलग ही पहचान है। आज भी यहां दुनिया के कोने-कोने से लोग ज्ञान हासिल करने यहां आते हैं। इसका वर्तमान जितना स्वर्णिम है उतना ही इतिहास दिलचस्प है। एक समय में दुनिया के शिखर पर पहुंचा तो वहीं इसे खाक में भी मिलाने की कोशिश की गई थी।
आग की लपटों में पुस्तक जल सकती है, ज्ञान नहीं-मोदी
पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी उस घटना का जिक्र किया जब नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया गया था। मोदी ने जोर देकर कहा कि 'आग की लपटें किताबों को जला सकती है मगर ज्ञान को नहीं'। अब बात इसके इतिहास की करते हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में हुई थी। इसका निर्माण का श्रेय गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त( प्रथम) को जाता है। फिर उनके उत्तराधिकारियों ने इसे सहेजने और सवारने का काम किया। उन्होंने इसकी पहचान पूरी दुनिया में बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
नालंदा यूनिवर्सिटी का स्वर्णिम इतिहास
नालंदा यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना के तकरीबन 700 साल बाद पूरी दुनिया में शिक्षा का सबसे प्रमुख केंद्र बन गया। साल दर साल इसकी ख्याति बढ़ती ही चली गई। गणित और खगोल विज्ञान की पढ़ाई ने इसे दुनिया में खुब शोहरत दिलाई। इसकी ख्याति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कि भारतीय गणित के जनक कहे जाने वाले आर्यभट्ट, छठी शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय के प्रमुख रहे थे।
इतिहासकारों के मुताबिक गणित और खगोल विज्ञान की तमाम थ्योरी नालंदा के जरिए ही दुनिया के दूसरे हिस्सों में पहुंची थी। मगर इसकी ख्याति को किसी की बुरी नजर लग गई। सन 1193 तक आबाद रहकर एक अलग पहचान बनाने वाले इस विश्वविद्यालय पर बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर दिया।
खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में लगाई थी आग
खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया। इतिहासकार बताते हैं कि खिलजी ने यूनिवर्सिटी पर जिस समय हमला किया था उस समय इसकी तीन मंजिला लाइब्रेरी में करीबन 90 लाख किताबें और पांडुलिपियां थीं। आग ने लाइब्रेरी को भी अपने चपेट में ले लिया था और करीब 3 महीने तक यहां किताबें जलती रहीं।
इस वजह से खिलजी ने विश्वविद्यालय में लगाई थी आग
इतिहासकार बताते हैं कि मुस्लिमों के विजय का नेतृत्व करने वाले खिलजी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय पर हमले की असली वजह इस्लाम को चुनौती थी। नालंदा की बढ़ती ख्याति से खिलजी को लगने लगा था कि बौद्ध और हिंदू धर्म जिस तरह से फल-फूल रहा है उससे इस्लाम को खतरा है। वो बोद्ध और हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार नहीं चाहता था। पहले उसने विश्वविद्यालय में इस्लाम की शिक्षा का दवाब बनाया और फिर हमला कर दिया।
पीएम मोदी ने दिलाई नई पहचान
फारसी इतिहासकार मिनहाजुद्दी सिराज ने अपनी किताब तबाकत-ए-नासिरी में इस घटना का जिक्र किया है। खिलजी के आक्रमण की वजह से पूरा विश्वविद्यालय तबाह हो गया। हजारों विद्वान और बौद्ध भिक्षु भी हमले में मारे गए थे। मगर जैसा कि पीएम मोदी ने आज, 19 जून को नए कैंपस के उद्घाटन के दौरान कहा कि आग की लपटें किताबों को जला सकती है मगर ज्ञान को नहीं। .यह सच साबित हुआ नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया में फिर अपना परचम लहरा रहा है।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 19 June 2024 at 15:48 IST