अपडेटेड 30 October 2025 at 21:44 IST
जासूसी का बड़ा भंडाफोड़: फर्जी वैज्ञानिक 'अलेक्जेंडर पाल्मर' के आतंकी नेटवर्क का ऐसे हुआ खुलासा
पुलिस ने आरोपी के पास से नकली पासपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड सहित कई फर्जी भारतीय दस्तावेज बरामद किए हैं। उसने विदेशी पहचान छिपाकर खुद को इंटरनेशनल जर्नलिस्ट और वैज्ञानिक बताकर कई संस्थानों में सक्रियता बनाई थी।
21 अक्टूबर 2025 को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक हाई-प्रोफाइल जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों की जांच में होश फाख्ता कर देने वाले राज सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि आरोपियों ने बड़े-बड़े देशों के जासूसों को भी चकमा दिया है।
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो वर्षों से खुद को "अलेक्जेंडर पाल्मर" नामक वैज्ञानिक बताकर भारत में फर्जी पहचान के साथ रह रहा था। जांच में सामने आया कि आरोपी का असली नाम अकबर कुतुबुद्दीन हुसैनी (50 वर्ष) है और वह एक विदेशी नागरिक है।
पुलिस ने आरोपी के पास से नकली पासपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड सहित कई फर्जी भारतीय दस्तावेज बरामद किए हैं। उसने विदेशी पहचान छिपाकर खुद को इंटरनेशनल जर्नलिस्ट और वैज्ञानिक बताकर कई संस्थानों में सक्रियता बनाई थी। आरोपी मुंबई के अंधेरी इलाके के जूहू-सौर आइलैंड स्थित एक फ्लैट में लंबे समय से रह रहा था। गिरफ्तारी के समय उसकी पत्नी और बेटा भी उसी फ्लैट में मौजूद थे।
अकबर हुसैनी के सहयोगी, झारखंड के जमशेदपुर निवासी मुजफ्फर अली रज़ा हुसैनी (41 वर्ष) को भी गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से मोबाइल फोन और विदेशी मुद्रा के 48 नोट बरामद हुए हैं। जांच एजेंसियों को 'अलेक्जेंडर पाल्मर' से जुड़े कई अहम दस्तावेज और तकनीकी सबूत हाथ लगे हैं, जो उसके संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं।
जुटाई खुफिया जानकारी
बरामद किए गए मोबाइल फोन और सिमकार्ड की जांच में पता चला है कि एक मोबाइल नंबर पाकिस्तान के नेटवर्क से जुड़ा पाया गया है। मोबाइल नंबर का IMSI कोड और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन खंगाला जा रहा है। आरोपी के नाम पर कोटक महिंद्रा बैंक का एनआरआई खाता, एसबीआई का क्रेडिट कार्ड, और कई कंपनियों के मैनेजर के तौर पर फर्जी प्रमाणपत्र मिले हैं।
पालमर ने 2000 से 2009 के बीच लंदन की यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था। इसके अलावा, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और जमशेदपुर के शैक्षिक संस्थानों के भी संदेहास्पद दस्तावेज मिले हैं। आरोपी अख्तर हुसैनी उर्फ अलेक्जेंडर पामर अपने मोबाइल फोन में अपनी आईपी (IP) पहचान छिपाने के लिए सुपर वीपीएन प्रो (VPN Pro) जैसे वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ऐप का इस्तेमाल कर रहा था।
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों (आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस) के साथ-साथ भारत सरकार के एक संवेदनशील प्रतिष्ठान के प्रतिबंधित क्षेत्र का लोगो और डिज़ाइन भी हासिल किए थे। पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि आरोपी अख्तर हुसैनी ने 2019 में जमशेदपुर के एक एजेंट की मदद से ऑल्डरसन पलामर के नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था।
बनाए फर्जी दस्तावेज
2019 से 2024 तक उसने इसी फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कई बार विदेश यात्राओं के लिए किया। उसके पास से कई देशों के वीज़ा और यात्रा से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। आरोपी के सहयोगी मुनाजिर नजीमुद्दीन खान ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने आदिल हुसैनी के इशारे पर 2017 के दौरान अलेक्जेंडर पामर के नाम से आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट और शैक्षणिक प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनवाए थे। ये दस्तावेज आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों पर फर्जी जानकारी जमा करके बनाए गए थे।
पुलिस अब जब्त किए गए सभी दस्तावेजों, मोबाइल डेटा और बैंक रिकॉर्ड की फोरेंसिक जांच कर रही है। जांच एजेंसियां इस बात की तफ्तीश कर रही हैं कि इस फर्जी पहचान का इस्तेमाल किन देशों की यात्रा के लिए किया गया और क्या इसका कोई आतंकी नेटवर्क से लिंक है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 30 October 2025 at 21:44 IST