अपडेटेड 2 August 2024 at 15:09 IST

सीधी पेशाब कांड मामले में नेहा सिंह राठौर को राहत नहीं, SC ने जांच पर रोक लगाने से किया इनकार

मध्य प्रदेश के सीधी पेशाबकांड मामले में भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है।

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भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर | Image: @nehafolksinger

MP News: मध्य प्रदेश के सीधी में पेशाब कांड को लेकर भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर की ओर से किए गए ट्वीट मामले में राहत नहीं मिली है। सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर नेहा सिंह राठौर के खिलाफ मध्यप्रदेश में एक FIR दर्ज की गई थी, जिसे रद्द करने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से लोकगायिका को करारा झटका मिला है।

राठौर की एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ताओं को जारी किया नोटिस। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने नेहा सिंह राठौर के खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने से फिलहाल इन्कार कर दिया। नेहा सिंह राठौर ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती है।

MP हाईकोर्ट ने जांच रोकने से किया था इनकार

इससे पहले जून में मध्य प्रदेश के सीधी जिले में हुए पेशाब कांड को लेकर भोजपुरी लोक गायिका की ओर से किए गए ट्वीट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया था। बता दें, यह प्राथमिकी पिछले साल नौ जुलाई को छतरपुर के एक पुलिस थाने में एक कार्टून साझा करने पर दर्ज की गई। इस कार्टून में एक अर्धनग्न व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करता हुआ दिख रहा है, जबकि एक खाकी हाफ पैंट फर्श पर पड़ी हुई दिखाई दे रहा है और काली टोपी तथा सफेद शर्ट पहने हुए एक व्यक्ति भी दिखाई दे रहा है।

राठौर की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस जी एस अहलूवालिया ने 15 मई के अपने आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत का विचार है कि हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं बनता है। आवेदन को खारिज किया जाता है।’’ उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि आवेदक द्वारा अपने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ और ‘इंस्टाग्राम’ खाते पर साझा किया गया कार्टून, उस घटना के अनुरूप नहीं था और आवेदक ने अपनी मर्जी से कुछ अतिरिक्त चीजें जोड़ीं।

'इसे व्यंग्य नहीं कहा जा सकता'

अदालत के आदेश में जोर दिया गया, ‘‘अदालत का विचार है कि यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कार्टून साझा किया था। हालांकि एक कलाकार को व्यंग्य के माध्यम से आलोचना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन कार्टून में किसी विशेष पोशाक को जोड़ना व्यंग्य नहीं कहा जा सकता है।’’

राठौर ने यह कार्टून तब साझा किया था जब पुलिस ने सीधी निवासी प्रवेश शुक्ला को एक आदिवासी व्यक्ति पर कथित रूप से पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश फैल गया था। विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि शुक्ला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ा हुआ है।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 2 August 2024 at 13:52 IST