अपडेटेड 6 May 2025 at 21:25 IST
Mock Drill: जानिए भारत में कब-कब बजे थे सायरन? होने जा रही ब्लैक आउट मॉक ड्रिल... ऐसे होगी हवाई हमलों से बचने की प्रैक्टिस
यह पहली बार नहीं है जब देश में मॉक ड्रिल की गई हो। इससे पहले 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय नागरिक सुरक्षा के लिए ऐसा अभ्यास किया गया था।
Mock Drill: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर कई अहम बैठकें कीं। इन बैठकों के बाद गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश के 244 जिलों में एक साथ मॉक ड्रिल करवाने का निर्णय लिया है।
इस मॉक ड्रिल का मकसद लोगों को यह सिखाना है कि अगर कभी हवाई हमला या किसी और तरह की आपात स्थिति आती है, तो उन्हें कैसे सुरक्षित रहना है। ड्रिल के दौरान सायरन बजेंगे, कुछ जगहों पर लाइट बंद कर ब्लैकआउट किया जाएगा और लोगों को छिपने और सतर्क रहने के तरीके सिखाए जाएंगे। इस बार भी मॉक ड्रिल में स्कूलों, ऑफिसों और घरों में रह रहे लोगों को आपातकालीन स्थिति में क्या करना है, यह सिखाया जाएगा।
इससे पहले कब कब हुई देश में मॉक ड्रिल
यह पहली बार नहीं है जब देश में मॉक ड्रिल की गई हो। इससे पहले 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय नागरिक सुरक्षा के लिए ऐसा अभ्यास किया गया था। इसके अलावा चीन के साथ युद्ध के वक्त भी 1962 में मॉक ड्रिल की गई। इससे पहले 4 बार देश में ये सायरन बज चुका है।
- 1962 भारत-चीन युद्ध
- 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध
- 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध
- 1999 कारगिल युद्ध
अगर आपात स्थिति आती है तो ऐसे दी जाएगी जानकारी
गृह मंत्रालय का कहना है कि यह ड्रिल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसमें कई गंभीर पहलुओं की जांच की जाएगी। जैसे हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, कंट्रोल रूम का कामकाज कैसा है और क्या नागरिकों को सही जानकारी दी जा रही है। इसमें भारतीय वायुसेना, रेडियो नेटवर्क और सुरक्षा एजेंसियों के बीच संचार की मजबूती भी परखी जाएगी।
दुनिया भर में होती है मॉक ड्रिल की प्रेक्टिस
दुनिया के कई देश पहले भी इस तरह की मॉक ड्रिल कर चुके हैं। जैसे 1952 में अमेरिका ने परमाणु हमले से बचाव के लिए डक एंड कवर अभियान चलाया था। ब्रिटेन और कनाडा में भी अतीत में बड़े स्तर पर युद्ध अभ्यास किए गए थे। मॉक ड्रिल के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अगर भविष्य में कोई आपात स्थिति आती है, तो पूरा देश तैयार हो। इसमें गांव से लेकर शहर तक सभी लोग और संस्थाएं हिस्सा लेंगी ताकि हर स्तर पर एकजुट होकर जवाब दिया जा सके।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 6 May 2025 at 21:25 IST