अपडेटेड 8 July 2025 at 16:06 IST
Mumbai: भाषा विवाद को लेकर ठाणे में बवाल, कारोबारियों की रैली के खिलाफ सड़कों पर MNS; पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भाषा विवाद के विरोध में मुंबई में मीरा रोड़ में एकत्र हुए थे। पुलिस ने विरोध-प्रदर्शन कर रहे MNS के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है।
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद गहराता ही जा रहा है। मंगलवार को भाषा विवाद ने उस समय नया मोड़ ले लिया, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं को ठाणे में विरोध मार्च के दौरान पुलिस ने हिरासत में ले लिया। MNS कार्यकर्ता ने यह रैली व्यापारी संगठनों के विरोध-प्रदर्शन के जवाब में निकाली थी।
मुंबई में हाल के दिनों में मराठी भाषा नहीं बोलने पर पिटाई की कई घटना सामने आई। बीते दिनों एक फूड स्टॉल मालिक को मराठी भाषा न बोलने पर पीटे जाने की घटना के बाद इस मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया। इस घटना का विरोध करते हुए व्यापारी संगठनों ने रैली निकाली थी। मंगलवार को इसके जवाब में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने ठाणे में जोरदार रैली का आयोजन किया।
हिरासत में लिए गए MNS कार्यकर्ता
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भाषा विवाद के विरोध में मुंबई में मीरा रोड़ में एकत्र हुए थे। जानकारी के मुताबिक, MNS को यहां रैली की अनुमति नहीं दी गई थी। यह रैली बिना पुलिस की अनुमति के निकाली गई थी और इसके चलते ठाणे जिले में भारी जाम और तनाव का माहौल बन गया जिसके बाद पुलिस ने मनसे के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
CM फडणवीस ने MNS की रैली पर क्या कहा?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि MNS कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली गई रैली पहले से तय और स्वीकृत मार्ग पर नहीं थी, जिस कारण पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि इस रैली के लिए पास के मीरा भयंदर में अनुमति दी गई थी जिसमें मनसे नेता हिस्सा लेने वाले थे, लेकिन पार्टी ने रैली के लिए एक खास रास्ते पर जोर दिया जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती थी, पुलिस को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी।
कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारी प्राथमिकता-CM फडणवीस
CM फडणवीस ने साफ किया कि महाराष्ट्र एक लोकतांत्रिक राज्य है, जहां हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। उन्होंने कहा, जो भी संगठन या व्यक्ति प्रदर्शन करना चाहता है, उसे नियमों का पालन करते हुए पहले अनुमति लेनी चाहिए। कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
इस घटनाक्रम के बाद राज्य की राजनीति गर्मा गई है। जहां एक ओर एमएनएस मराठी अस्मिता की रक्षा की बात कर रही है, वहीं विपक्षी दलों ने हिंसा और जबरदस्ती भाषा थोपने की मानसिकता पर सवाल उठाए हैं। नेताओं के तीखे बयान सामने आ रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है।
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 8 July 2025 at 14:38 IST