अपडेटेड 26 November 2024 at 21:31 IST

Inside Story: उदयपुर में 'मेवाड़ की गद्दी' पर महाराणा प्रताप के वंशजों में क्यों छिड़ा संग्राम?

राजशाही खत्म हो गई, राजा-रजवाड़ों से उनके अधिकार छीन लिए गए, लेकिन मेवाड़ राज परिवार आज भी राजघराने की परंपरा निभा रहा है। ये पूरा विवाद दो भाईयों के बीच का है।

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महाराणा प्रताप के वंशजों में क्यों छिड़ा संग्राम? | Image: Republic

Udaipur Royal Family Dispute: महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ राजघराने के बीच वर्चस्व की लड़ाई सड़क पर आ गई है। उदयपुर के राजघराने में विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म को लेकर सोमवार को जो बवाल मचा वो पूरे देश ने देखा। विश्वराज सिंह के राजतिलक के बाद धूणी दर्शन की परंपरा निभाने के लिए राज परिवार के दो गुटों में हिंसक झड़प हो गई। उदयपुर के सिटी पैलेस के बाहर पत्थर चलने लगे, विश्वराज सिंह के समर्थकों पर कांच की बोलतें फेंकी गई। हालात बिगड़ता देख प्रशासन ने मोर्चा संभाला और हालात पर काबू पाया।

उदयपुर सिटी पैलेस के बाहर गेट से अंदर घुसने की कोशिश कर रही भीड़ पर जिस तरह पत्थरबाजी की गई। उसने राजा-रजवाड़ों के समय की जंगी यादें ताजा कर दी। विश्वराज सिंह के समर्थक सिटी पैलेस गेट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जब गेट के ऊपर से पत्थर चलने शुरू हुए तो वहां भागमभाग मच गई। उदयपुर में विवाद वाली जगह को प्रशासन ने सील कर दिया। इलाके में भारी मात्रा में फोर्स तैनात कर दी गई है। धूणी दर्शन के लिए अगले आदेश तक पाबंदी लगा दी गई। हालांकि विश्वराज सिंह अभी भी धूणी दर्शन पर अड़े हुए हैं। प्रशासन की तरफ से दोनों पक्षों के साथ समझौते की कोशिश की जा रही है, लेकिन कोई पक्ष झुकने को तैयार नहीं है।

राजघराने के विवाद की जड़?

मेवाड़ में साल 1955 में भगवंत सिंह महाराणा बनने थे। राजघराने में संपत्ति को लेकर विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब भगवंत सिंह ने मेवाड़ में अपनी पैतृक संपत्तियों को बेचना और लीज पर देना शुरू कर दिया। इससे उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह नाराज हो गए। विरोध जताते हुए महेंद्र सिंह ने अपने पिता पर केस दायर किया और हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत अपना हक मांगा। महेंद्र के इस कदम से उनके पिता नाराज हो गए और उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया। इसके बाद भगवंत सिंह ने राजगद्दी संभालने के लिए एक ट्रस्ट बनाया। इस ट्रस्ट में अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह को संचालक बना दिया। अरविंद सिंह तब से ट्रस्ट को संभालते आ रहे हैं और ये ट्रस्ट ही उदयपुर सिटी पैलेस संग्रहालय को चलाता है। भगवंत सिंह ने अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह को संपत्तियों का एक्ज्यूक्यूटर बनाया। 1984 में तीन नवंबर को भगवत सिंह का निधन हो गया।

क्यों बढ़ा विवाद ?

भगवंत सिंह के बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद 25 नवंबर, 2024 को विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक हुआ है। उन्होंने राज परिवार का मुखिया नियुक्त किया गया है। विश्वराज सिंह के राजतिलक का चाचा अरविंद सिंह विरोध कर रहे हैं। मेवाड़ राजघराने में नए महाराणा के राजतिलक के बाद धूणी मां के दर्शन की परंपरा है और धूणी माता का मंदिर उदयपुर सिटी पैलेस में है। सिटी पैलेस का कंट्रोल विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह के पास है। विश्वराज सिंह धूणी माता का दर्शन करने पहुंचे, तो उनके चचेरे भाई लक्ष्यराज ने उन्हें रोक दिया। लक्ष्यराज सिंह ने सिटी पैलेस का गेट बंद कर दिया। विश्वराज सिंह धूणी माता के दर्शन के लिए अड़ गए, इसी वजह से सिटी पैलेस के बाहर विवाद बढ़ गया और विवाद बढ़ने पर विश्वराज जगदीश चौक लौट आए।

देश में राजशाही खत्म हो गई, राजा-रजवाड़ों से उनके अधिकार छीन लिए गए, लेकिन मेवाड़ राज परिवार आज भी राजघराने की परंपरा निभा रहा है। हालांकि इस परिवार में पारंपरिक रिति-रिवाज ही जंग की वजह बन गई है, लेकिन देखने वाली बात ये है कि इस जंग को कौन जीतता है। ये पूरा विवाद दो भाईयों के बीच का है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 26 November 2024 at 21:31 IST