अपडेटेड 10 March 2025 at 13:19 IST

राज्यसभा : मणिपुर के भाजपा सदस्य ने म्यामां को दी गयी राज्य की घाटी वापस लेने की मांग उठायी

राज्यसभा में भाजपा के मणिपुर के सदस्य ने राज्य की एक घाटी को 1950 में म्यामां को दिए जाने के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले की आलोचना की।

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Rajya Sabha | Image: Sansad TV

राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मणिपुर के सदस्य ने राज्य की एक घाटी को 1950 में म्यामां को दिए जाने के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए सोमवार को मांग की कि इस घाटी को वापस लिये जाने की संभावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के महाराजा संजाओबा लेशंबा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने 1953 में वर्मा (अब म्यामां) के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ हुई एक बैठक में मणिपुर की कबाओ घाटी को पड़ोसी देश को देने का निर्णय किया था। उन्होंने कहा कि हजारों वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाली यह घाटी काफी संसाधन संपन्न और उपजाऊ है। 

मणिपुर के इतिहास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण घटना

उन्होंने कहा कि इस घाटी को म्यामां को दिया जाना मणिपुर के इतिहास में एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है क्योंकि यह निर्णय लेने से पहले भारतीय संसद की मंजूरी नहीं ली गयी थी। उन्होंने कहा कि मणिपुर से यह घाटी लिये जाने के एवज में उसे कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया। लेशंबा ने केंद्र सरकार और संसद से यह मांग की कि मणिपुर की इस महत्वपूर्ण घाटी को वापस लिये जाने की सभी संभावनाओं पर विचार किया जाए। 

नर्मदा नदी को लेकर क्या कहा

इसी पार्टी की माया नारोलिया ने नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनरेखा करार देते हुए कहा कि रेत खनन एवं तमाम प्रदूषणों के कारण आज इस महत्वपूर्ण नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। उन्होंने मांग की कि इसे मध्य प्रदेश की जीवंत नदी मानते हुए इसकी पुरानी स्थिति को फिर से बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि इस नदी का संरक्षण करना देश की भावी पीढ़ियों के लिए बहुत आवश्यक है।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 10 March 2025 at 13:19 IST