अपडेटेड 9 August 2025 at 12:29 IST

बच्चों को पढ़ाई जा रहा 'क से काबा', 'म से मस्जिद' और' न से नमाज', ABVP ने की मान्यता रद्द करने की मांग

MP News : यह मामला अब स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के पास पहुंच चुका है। विद्यार्थी परिषद ने स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जबकि अभिभावकों में भी इस बात को लेकर गुस्सा है।

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Raisen News : मध्य प्रदेश में रायसेन के एक निजी स्कूल में नर्सरी के बच्चों को 'क से कबूतर' की जगह 'क से काबा', 'म से मछली' की जगह ‘म से मस्जिद’ और 'न से नल' की जगह 'न से नमाज' जैसे शब्द सिखाए जा रहे हैं। 'क से काबा', 'म से मस्जिद' और 'न से नमाज' जैसे शब्दों वाला पट्टी पहाड़ा पढ़ाए जाने का मामला सामने आने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और कुछ अभिभावकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

ये पूरा मामला रायसेन जिले के वार्ड 2 में स्थित बेबी कॉन्वेंट स्कूल का है। परिजनों और ABVP कार्यकर्ताओं ने इसे सनातन संस्कृति के खिलाफ षड्यंत्र करार दिया। इसकी जानकारी परिजनों को तब हुई जब एक छात्रा के चाचा ने इस पट्टी पहाड़े पर गौर किया। उन्होंने तुरंत इसकी शिकायत की और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को जानकारी दी। जिसके बाद स्कूल पर नारेबाजी कर मान्यता रद्द करने की मांग की गई है।

'सनातन संस्कृति और हिंदुत्व के खिलाफ साजिश'

विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक अश्विनी पटेल और पूर्व छात्र नेता शुभम उपाध्याय सहित कई कार्यकर्ता स्कूल पहुंचे। उन्होंने स्कूल के बाहर नारेबाजी करते हुए इसे सनातन संस्कृति और हिंदुत्व के खिलाफ साजिश बताया। उन्होंने कहा कि "हमने तो बचपन में 'क से कबूतर', 'म से मछली' पढ़ा था। छोटे बच्चों को इस तरह की शिक्षा देकर भ्रमित किया जा रहा है।"

प्रिंसिपल ने मानी गलती

विरोध बढ़ता देख स्कूल की प्रिंसिपल E.A कुरैशी ने अपनी गलती स्वीकार करली है। उन्होंने कहा कि यह पट्टी पहाड़ा भोपाल से मंगवाया गया था और इसे पहले चेक नहीं किया गया। प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल पिछले 30 साल से नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाएं संचालित कर रहा है और उनकी मंशा किसी को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। हालांकि, जब उन्होंने कहा कि 'म से मंदिर' के साथ 'म से मस्जिद' भी पढ़ाया जा सकता है, तो कार्यकर्ता और भड़क गए।

यह मामला अब स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के पास पहुंच चुका है। विद्यार्थी परिषद ने स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जबकि अभिभावकों में भी इस बात को लेकर गुस्सा है। यह विवाद शिक्षा और संस्कृति के बीच संतुलन का सवाल उठाता है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 9 August 2025 at 12:29 IST